अरुणाचल की हिल्लंग याजिक ने रचा इतिहास, दक्षिण एशियाई बॉडीबिल्डिंग चैम्पियनशिप 2025 में जीता स्वर्ण और रजत पदक
अरुणाचल प्रदेश के लिए गौरव का क्षण

भारत और खासकर पूर्वोत्तर भारत के लिए गर्व का क्षण तब आया जब अरुणाचल प्रदेश की हिल्लंग याजिक ने 15वीं दक्षिण एशियाई बॉडीबिल्डिंग एवं फिजिक स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप 2025 में स्वर्ण और रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह प्रतियोगिता भूटान की राजधानी थिम्पू में 11 से 15 जून तक आयोजित की गई थी।
हिल्लंग याजिक न सिर्फ भारत के लिए सम्मान लेकर लौटीं, बल्कि वह अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला फिजिक स्पोर्ट्स एथलीट बन गईं, जिन्होंने किसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया है। यह राज्य के खेल इतिहास में एक मील का पत्थर है।
याजिक ने महिला फिजिक कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता, जबकि एक अन्य श्रेणी में उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। उनके इस उपलब्धि ने भारत को दक्षिण एशियाई खेलों में मजबूती के साथ प्रस्तुत किया और महिला एथलीट्स के लिए एक नई प्रेरणा का स्रोत बना।
प्रतियोगिता में भारत, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव समेत कई दक्षिण एशियाई देशों के शीर्ष एथलीट्स ने भाग लिया। इतने कड़े मुकाबले में याजिक का प्रदर्शन सराहनीय रहा।
हिल्लंग याजिक की यह जीत न केवल भारत के लिए बल्कि अरुणाचल प्रदेश के लिए भी गर्व की बात है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि राज्य की युवा पीढ़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और जीतने की पूरी क्षमता रखती है।राज्य सरकार और खेल विभाग ने भी याजिक को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि प्रदेश की अन्य युवा महिलाओं को खेलों में आगे आने की प्रेरणा देगी। मुख्यमंत्री और खेल मंत्री दोनों ने उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की सराहना की।
याजिक की इस सफलता के पीछे वर्षों की कठिन मेहनत, अनुशासन और समर्पण छिपा है। उन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी की और अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया। याजिक ने एक साक्षात्कार में कहा, “यह जीत सिर्फ मेरी नहीं है, यह पूरे अरुणाचल और भारत की है। मैं चाहती हूं कि मेरी सफलता से और लड़कियां खेलों की ओर प्रेरित हों।”
हिल्लंग याजिक की यह जीत निश्चित रूप से भविष्य में उनके लिए और भी बड़े मंचों के द्वार खोलेगी। देश के खेल जगत को उनसे आगामी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक की उम्मीद है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण, संसाधन और सहयोग प्रदान करने की भी संभावना जताई जा रही है।
हिल्लंग याजिक की जीत भारत और खासकर पूर्वोत्तर के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि सच्चे जुनून और परिश्रम से कोई भी मंज़िल पाई जा सकती है।