पिछले महीने की 24 तारीख को आये विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद पैदा हुए सभी कयासबाजियों का आज हैप्पी एंडिंग हो गया। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद से ही अनेक किस्म की अटकलबाजियों का दौर चल रहा था। क्या फडणवीस सीएम बन पायेंगे..? क्या शिंदे की नाराजगी दूर होगी..? क्या बीजेपी किसी और नाम को सीएम के चेहरे के तौर पर आगे करेगी….. इत्यादि प्रकार की अटकलबाजियों पर आज पूर्ण विराम लग गया। एक क्लासिकल हिंदी फिल्म की तरह महाराष्ट्र की राजनीति में भी आखिरकार सब कुछ ठीक हो गया। बोले तो एक उस फिल्म की हैप्पी एंडिंग हो गई जिसमें थोड़ा सस्पेंस भी थाऔर थोड़ा ड्रामा भी.
आज आजाद मैदान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी शासित प्रदेशों और गठबंधन के मुख्यंमंत्रियों सहित अनेक केंद्रीय मंत्रिओं की मौजूदगी में देवेंद्र फडणवीस में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। फडणवीस के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राजयपाल सीपी राधाकृष्णन ने देवेंद्र फडणवीस और दोनों उप-मुख्यमंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यूँ तो 24 घंटे पहले यानि 4 दिसंबर की शाम को फडणवीस, शिंदे और पवार की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजित पवार ने अपने शपथ लेने की बात साफ-साफ़ कह दी थी पर एकनाथ शिंदे के बयान से पूरा सस्पेंस बना हुआ था। मीडिया और राजनैतिक विश्लेषक शिंदे के उस बयान का अपने-अपने अनुसार अर्थ निकल रहे थे। पर आज शिंदे ने बतौर उप-मुख्यंमंत्री शपथ लेकर फिलहाल बीजेपी को ऑल इज वेल वाली फीलिंग तो दी ही दी.
देवेंद्र फडणवीस फिर एक बात महाराष्ट्र की राजनीति में बाहुबली बनकर उभरे हैं। 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले फडणवीस, उद्धव ठाकरे के पाला बदलने के बाद उपजे हालातों में संख्या बल में मजबूत होने के बाद भी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बतौर उप-मुख्यमंत्री 2.5 साल तक काम करते रहे। चंद महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी गठबंधन के लिए महाराष्ट्र से आये नतीजे निराशाजनक रहे। मराठवाड़ा में मराठा आंदोलन से उपजा असंतोष और कपास के किसानों की मुश्किलें बीजेपी की मुसीबतों को बढ़ने वाली थी। विपक्षी गठबंधन ने संविधान और जातिगत जनगणना को लेकर बीजेपी को महाराष्ट्र ही नहीं पुरे देश में घेरने की कोशिश की। लोकसभा चुनाव परिणामों से पार्टी कार्यकर्ताओं के झुके हुए कंधो को फिर से उत्साह और उमंग से भरने की चुनौती भी देवेंद्र फडणवीस के सामने थी.
24 नवंबर को आये नतीजों में जहाँ बीजेपी को बम्पर सीटें मिली तो वही विपक्षी गठबंधन एकदम हासिये पर चले गया। राजनीति का चाणक्य कहलाये जाने वाले शरद पवार एक युवा नेता से मुँह की खा बैठे। हमेशा कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहने वाले फडणवीस ने दिखा दिया कि राजनीति में हार का मतलब आत्मलोकन होता है। हार का मतलब है कि अपनी कमियों पर फिर से काम करना और दुगुने सहस और उत्साह के साथ अगले मौके की प्रतीक्षा करना। शरद पवार जैसे सुरमा को पटखनी देकर और तमाम असंतोष और प्रतिकूल स्तिथियों के बावजूद भारी जनादेश हासिल कर फडणवीस ने दिखा दिया कि इस वक्त महाराष्ट्र की ऱाजनीति के बाहुबली वो ही हैं.