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RBI ने घटाया कैश रिज़र्व रेशियो, बैंक के क़र्ज़ देने की श्रमता में बढ़ौती

SBI का अनुमान – कर्ज़ में 1.4 से 1.5 फीसदी की बढ़त

 

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) में 1 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे देश की बैंकिंग व्यवस्था में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से देश में कर्ज़ यानी लोन देने की रफ्तार 1.4 से 1.5 फीसदी तक बढ़ सकती है।

CRR वो रकम होती है जिसमें हर बैंक को अपने पास जमा राशि में से एक हिस्सा निकल कर रिज़र्व बैंक के पास नकद रूप में रखना होता है। जब इसे घटाया जाता है, तो बैंकों के पास अधिक पैसा आ जाता है, जिसे वे लोन के रूप में दे सकते हैं। SBI ने अनुमान लगाया है कि CRR में कटौती से दिसंबर 2025 तक ₹2.5 लाख करोड़ की तरलता यानी लिक्विडिटी बैंकिंग सिस्टम में आ जाएगी। इससे बैंकों को कर्ज़ देने की क्षमता बढ़ेगी और बाजार में पैसों की वैल्यू में सुधार आएगा।

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इससे बैंकों की कमाई पर भी सकारात्मक असर होगा। बैंक सस्ते फंड से लोन देंगे, जिससे उनकी नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में 3 से 5 बेसिस पॉइंट का फायदा होगा। साथ ही, मनी मल्टिप्लायर यानी बैंकों के पास आए एक रुपये से कुल कितनी बार लोन दिया जा सकता है, वो भी बढ़ेगा और मार्च 2026 तक यह आंकड़ा करीब 6 तक पहुंच सकता है।

पिछले वित्त वर्ष में देश की क्रेडिट ग्रोथ 12 फीसदी रही थी, जबकि उससे पहले यह 15 फीसदी तक थी। ऐसे में RBI का यह कदम कर्ज़ में फिर से तेजी लाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। SBI का कहना है कि अब CRR सिर्फ एक तकनीकी टूल नहीं रह गया, बल्कि यह बैंकिंग सिस्टम को लचीला और स्थिर बनाए रखने का अहम ज़रिया बन चुका है।

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