मध्य पूर्व के तनाव का असर भारत के बासमती चावल, उर्वरक और हीरा कारोबार पर पड़ सकता है: CRISIL रिपोर्ट
लंबे तनाव से निर्यात, भुगतान और लागत पर पड़ सकता है असर

मध्य पूर्व में चल रहे तनाव, खासकर ईरान और इज़राइल के बीच बिगड़ते हालात का असर अब भारत के कुछ बड़े कारोबारी क्षेत्रों पर दिखने की आशंका है। क्रिसिल (CRISIL) की रिपोर्ट ने साझा किया कि अगर यह संकट लंबे समय तक चलता रहा तो भारत में बासमती चावल, खाद और हीरा उद्योंगो को नुकसान झेलना पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का करीब 14% बासमती चावल का निर्यात कार्य (export) ईरान और इज़राइल को हुआ है। अभी तक बड़ा इन उद्योगों पर असर नहीं पड़ा है, ले लेकिन अगर यह संकट और बढ़ा तो निर्यात, लागत और नकदी प्रवाह (cash flow) तीनों में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे में कंपनियों को पहले से तैयारी करने और जोखिम का आकलन करने की सलाह दी गई है।
इसी तरह, हीरे के कारोबार पर भी हल्का असर पड़ सकता है। भारत का लगभग 4% डायमंड व्यापार इज़राइल के ज़रिए होता है। फिलहाल इस व्यापार में बड़ी रुकावट नहीं आई है, क्योंकि कारोबारी अब बेल्जियम और संयुक्त अरब अमीरात जैसे वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। खाद (fertilizer) सेक्टर की बात करें तो भारत करीब 7% म्यूरेट ऑफ पोटाश (MoP) इज़राइल से आयात करता है। हालांकि यह देश की कुल जरूरत का केवल 10% है, फिर भी इसमें थोड़ी बाधा आ सकती है।
इसके अलावा, ईंधन और शिपिंग की लागत में वृद्धि होने से इनपुट कॉस्ट भी बढ़ सकता है। तेल की कीमतें भी इस तनाव के कारण बढ़ रही हैं। ब्रेंट क्रूड की कीमतें अब 73 से 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं, जो पहले करीब 65 डॉलर थीं। इससे ट्रांसपोर्ट और बीमा की लागत बढ़ेगी, जिसका असर पूरे सप्लाई चेन पर पड़ सकता है।