बिहार के राजगीर के अंतराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय में शुक्रवार से ‘वैशाली फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी’ के दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम में नेपाल, श्रीलंका, चिली, मिश्र,अर्जेंटीना समेत नौ देशों प्रतिनिधि शामिल हुए।
कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत में गणतंत्र सदियों पहले आया है। भारत ने कोई भी निर्णय जनतांत्रिक तरीके से लिए हैं। भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों को ‘बुद्धं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामी’ का जो ज्ञान दिया है, उसमें भी गणतंत्र परिलक्षित होता है।
कोविंद ने बताया कि उनके लिए बिहार नई जगह नहीं है। बिहार का हर एक जगह उनके दिल में बसता है, उनका सौभाग्य रहा है कि वह बिहार के राज्यपाल भी रहे हैं। इसके अलावा उनका यह तीसरा दौरा नालंदा यूनिवर्सिटी के लिए रहा है।
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि वैशाली गणतंत्र की जननी है। लोकतंत्र कैसा था, क्या प्रणाली थी, कार्यक्रम क्या था, लोगों को बताने की आवश्यकता है। वैशाली के महत्व के बारे में लोगों को बताने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा कि भारत मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी है। इसके लिए हम लोगों को देश-दुनिया में प्रचार-प्रसार करना चाहिए। वैशाली गणतंत्र के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वैशाली पुरातत्व गणतंत्र है, कई स्थानों पर लोकतंत्र और गणतंत्र की व्यवस्था है, उस व्यवस्था को बेहतर प्रकार से ऑर्गेनाइज किया गया था।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा सरमा ने कहा कि वैशाली डेमोक्रेसी को पाठ्य पुस्तक में शामिल करना चाहिए, जिससे बच्चों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो सके। आने वाले समय में पूरे विश्व में डेमोक्रेसी को लोग स्वीकार करेंगे और पड़ोसी देश में भी डेमोक्रेसी की स्थापना हो जाएगी।
कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे के अलावे कई गणमान्य लोग शामिल हुए।
इसके अलावा कार्यक्रम में नौ देशों के 19 प्रतिनिधि, कई देशों के राजदूत और उच्चायुक्त भी शामिल हुए। इस अवसर पर वैश्विक स्तर के कलाकार द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।