भारत में करीब 80 फीसदी नियोक्ता मानते हैं कि टेक्नोलॉजी ने उन्हें ज्यादा लचीला बनने में मदद की है, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है।
यह खुलासा ग्लोबल स्टाफिंग फर्म मैनपावरग्रुप इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है, जो भारत में विभिन्न उद्योगों और संगठनों के विभिन्न स्तरों पर डाइवर्सिटी (विविधता), इक्विटी (समानता), समावेश (इंक्लूजन) पहल पर किए गए सर्वे पर आधारित है।
सर्वे में 3 हजार 150 भारतीय नियोक्ताओं को शामिल किया गया। नतीजा निकला कि ज्यादातर नियोक्ता प्रगतिशील नीतियों, स्किल बढ़ाने और लचीलेपन के माध्यम से समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं।
करीब 77 फीसदी नियोक्ताओं ने कहा कि एडवांस टेक्नोलॉजी लैंगिक समानता में मदद कर रही है। 74 फीसदी का कहना था कि एडवांस टेक्नोलॉजी आईटी कंपनियों को पेशेवरों को जोड़ने में मदद करती है। जबकि 70 फीसदी का दावा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल के कारण बेहतर कैंडिडेट मिलते हैं।
इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) सेक्टर (58 प्रतिशत) कंपनियों के विविधता अनुपात को मजबूत करने में सबसे आगे है। इसके बाद हेल्थकेयर और लाइफ साइंस सेक्टर (54 प्रतिशत) और फाइनेंशियल एंड रियल एस्टेट सेक्टर (54 प्रतिशत) का स्थान है, लेकिन कंज्यूमर गुड्स और सर्विस सेक्टर (34 प्रतिशत) पीछे है।
मैनपावरग्रुप इंडिया और मिडिल ईस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप गुलाटी ने कहा, “भारत की लैंगिक विविधता दुनिया भर में सबसे अच्छी है।”
संदीप गुलाटी ने कहा कि टेक्नोलॉजी ने लचीलेपन को संभव बनाया है। कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर भी विश्वास जताया कि यदि काम करने वालों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं शामिल की जाएं तो भारत तेजी से विकास कर सकता है।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 58 प्रतिशत नियोक्ता महिलाओं और पुरुष की सैलरी में कोई भेदभाव नहीं करते, जबकि शेष 32 प्रतिशत थोड़ा पीछे हैं और 10 प्रतिशत ने कोई पहल नहीं की है।