भारत-पाकिस्तान विवाद – भारत की कार्रवाई पाकिस्तान पर हमला नहीं आत्मरक्षा है

युद्ध कोई नहीं चाहता इसमें तो संशय है ही नहीं। पर आपके पास विकल्प क्या है..?? पिछले 40 सालों से देश आतंकवाद का दंश झेल रहा है। 50 हज़ार से अधिक निर्दोष लोगों की जान गई, हर दिवाली देश में बम धमाके, रेलवे- बस स्टेशन चलती रेल या फिर कोर्ट परिसर हो या फिर मंदिर ऐसी कोई जगह नहीं बची जहां आतंकवादियों ने अपने निशान नहीं छोड़े हों…. 2008 का 26/11 तो भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला था.
पिछले कई दशकों से हर आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को डोजियर सौंपे जाते रहे पर पाकिस्तान कभी भी आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने से बचता रहा…. भारत के अनेक शांति प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान से हर बार एक नया जख्म मिला। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी शांति के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए लाहौर बस लेकर गये । लेकिन पाकिस्तान ने बदले में कारगिल कर दिया…. संसद पर हमला और कश्मीर की विधानसभा पर आतंकी हमला भी पाकिस्तानी आतंकियों ने किया। यूपीए कार्यकाल में पाकिस्तान के वर्तमान राष्ट्रपति जरदारी भारत आए और भारत ने उनकी खूब मेहमाननवाजी की । पर बदले में 26/11, दिल्ली में सीरियल बम ब्लास्ट, मुंबई ट्रेन बम धमाके, पुणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट, अयोध्या, लखनऊ,जयपुर, बेंगलुरु जैसे बम धमाके कर पाकिस्तान ने हर बार पीठ पर छुरा घोंपा.
2014 में नरेंद्र मोदी सरकर आने के बाद प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में पकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने शिरकत की। साथ ही 25 दिसंबर 2015 को अफगानिस्तान से वतन वापसी के समय प्रधानमंत्री मोदी नवाज शरीफ के पारिवरिक समारोह में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बगैर लाहौर गये। पर आतंकी घटनाएं जारी रही और इसके बाद ही उरी और पठानकोट आतंकी हमला हुआ। ऐसा नहीं है कि इस आतंक से केवल भारत का नुकसान हुआ है, अपने घर में आतंकियों के पालन-पोषण में पाकिस्तान खुद अपने हाथ भी जला बैठा है…. पेशावर में मासूम बच्चों पर आतंकियों के कायराना हमले से भारत भी गमगीन था। पर अपने मासूम बच्चों की लाश देखकर भी जिसको अक्ल ना आये उसे ही शायद पाकिस्तान कहते हैं। पाकिस्तान की जनता अपने निकम्मे हुक्मरानों और गैर-जिम्मेदार सेना की करनी का अंजाम भुगत रही है। पाकिस्तान के हज़ारों नागरिक भी उनकी फौज़ और नेताओं द्वारा संरक्षित आतंक का शिकार हुए हैं.
2016 में आतंकियों ने उरी के मिलिट्री बेस पर हमला किया और बदले में भारत ने सीमा पार आतंकी कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक की, फिर 2019 में सेना के काफिले पर फ़िदायीन हमला किया जिसमें 40 जवानों की जान चली गई और आतंक के खात्मे के इरादे से भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में बालाकोट में एयर स्ट्राइक की। पर पाकिस्तान ने सुधरने का नाम ही नहीं लिया। कभी गैर कश्मीरी लोगों को निशाना बनाया गया तो कभी तीर्थ यात्रियों को, कभी पॉलिटिकल वर्कर को निशाना बनाया गया तो कभी बस यात्रियों को। पाकिस्तान हर बार अपनी नापाक हरकतों की पुनरावृति करता रहा और 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों को नाम और धर्म पूछकर मारा गया। इस बार भी पाकिस्तान ने कोई सख्त कदम उठाने की बजाय पल्ला झाड़ते हुए न्यूक्लियर हमले की धमकी दे डाली। पकिस्तान समर्थित आतंकियों ने पहलगाम में 1 नेपाली नागरिक सहित 26 निर्दोष नागरिकों को मार दिया.
भारत ने जबाव देने के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान में आतंक के अड्डों को निशाना बनाकर संयमित और संतुलित कार्रवाई की। साथ ही दोहराया कि भारत स्तिथि को और बिगड़ना नहीं चाहता, पर पाकिस्तान युद्ध-उन्माद में इस कदर बौखला गया कि नगरिकों को निशाना बनाकर हमला करने लगा और जिसमें करीब 16 भारतीय निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई। इतना ही नहीं 15 भारतीय शहरों को निशाना बनाकर पाकिस्तान ने रॉकेट/ड्रोन हमले भी किए जिसे भारत की मुस्तैद एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। पकिस्तान ने कश्मीर से लेकर गुजरात तक सीमा पर लगे कई शहरों पर हमला करने की कोशिश की जिसे भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा निष्क्रिय किया गया। साथ ही जबाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के दो JF-17 और एक F-16 को भी मार गिराया
भारत युद्ध नहीं चाहता पर भारत अपने नागरिकों की मौत होते भी नहीं देख सकता। भारत दुनिया का शक्तिशाली देश है पर बुद्ध के बताए मार्ग पर चलता है। भारत पाकिस्तान पर हमला नहीं कर रहा अपितु अपनी सुरक्षा के रहा है और साथ ही आतंक के संभावित खतरे की जड़ पर हमला कर रहा है जिससे कि शांति के दुश्मन फिर कभी भारत की ओर आंख उठाने का दुस्साहस ना करें.