भारत-पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव: जासूसी के आरोपों के बीच पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायोग कर्मी को निकाला
राजनयिक संबंधों में आई खटास

भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव एक बार फिर से गहरा गया है। 22 मई को पाकिस्तान ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया। यह कदम भारत द्वारा एक दिन पहले नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी को जासूसी के आरोप में निष्कासित करने के जवाब में उठाया गया।
बुधवार को भारत सरकार ने पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी को जासूसी गतिविधियों में शामिल होने के चलते “अवांछनीय व्यक्ति” (persona non grata) घोषित करते हुए 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया था। इसके बाद गुरुवार को पाकिस्तान ने भी “प्रतिशोधात्मक कदम” उठाते हुए भारतीय उच्चायोग के एक अधिकारी को निष्कासित कर दिया।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया,
“भारतीय अधिकारी को राजनयिक मान्यता के अनुरूप आचरण न करने के कारण persona non grata घोषित किया गया है। उसे 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।”
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के प्रभारी दूत (Chargé d’Affaires) को तलब कर इस निष्कासन की औपचारिक जानकारी दी। उन्हें यह भी चेतावनी दी गई कि भारतीय राजनयिकों को अपने विशेषाधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, वरना भविष्य में और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।
अब तक भारत सरकार की ओर से इस प्रतिशोधात्मक कार्रवाई पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि भारतीय अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान उच्चायोग का निष्कासित अधिकारी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में था और उसे गोपनीय सूचनाएं एकत्र करते हुए पकड़ा गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक तनाव कई वर्षों से चला आ रहा है, विशेष रूप से आतंकवाद, कश्मीर मुद्दे और सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघनों को लेकर। हर बार जब भी जासूसी या सुरक्षा उल्लंघन जैसे आरोप सामने आते हैं, दोनों देशों के बीच ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ की कार्रवाई देखने को मिलती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कदम राजनयिक संबंधों को और जटिल बना सकते हैं और दोनों देशों के बीच बातचीत की संभावनाएं भी कमजोर हो जाती हैं।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर से भारत-पाकिस्तान संबंधों की संवेदनशीलता को उजागर किया है। जहां दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांतिपूर्ण संबंधों की बात करते हैं, वहीं ज़मीनी स्तर पर जासूसी, निष्कासन और राजनयिक टकरावों की घटनाएं आपसी अविश्वास और तनाव को गहराती हैं।