धर्मराष्ट्रीय

शुरू हुआ जगन्नाथ रथ यात्रा, लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

भक्तों का उमड़ा सैलाब

ओडिशा के प्रसिद्ध पुरी शहर में आज जगन्नाथ रथ यात्रा की धूम मच गई। यह धार्मिक आयोजन हर साल भक्तों के बीच भारी उत्साह और श्रद्धा का कारण बनता है। इस साल भी लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्र के रथों को खींचने के लिए उमड़े हैं। रथ यात्रा का यह महापर्व देशभर में श्रद्धा, आस्था और खुशी का प्रतीक है।

रथ यात्रा की शुरुआत पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर से होती है, जहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्र के साथ रथ पर सवार होकर मंदिर की ओर जाते हैं। इस यात्रा में भगवान की रथों को खींचने के लिए लाखों भक्त श्रद्धा के साथ शामिल होते हैं, और यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी मानी जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत से पहले ही पुरी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस साल भी कोविड-19 के बाद सामान्य माहौल में पहली बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने रथ यात्रा में हिस्सा लिया। रथों को खींचने के लिए विभिन्न स्थानों से भक्त इकट्ठा हुए और उन्होंने उत्साह के साथ रथों को खींचना शुरू किया।

हर साल की तरह, इस बार भी रथ यात्रा में विशेष धार्मिक अनुष्ठान, पूजन और भव्य आयोजन किया गया। यह यात्रा न केवल ओडिशा, बल्कि पूरे भारत में एक विशाल धार्मिक पर्व के रूप में मनाई जाती है। भक्तों के चेहरों पर उल्लास और आस्था की झलक साफ दिखाई दे रही थी, और कई श्रद्धालु पारंपरिक गीतों और नृत्य के साथ रथ यात्रा के साथ चल रहे थे।

इस ऐतिहासिक रथ यात्रा में लाखों भक्तों की भागीदारी के मद्देनज़र पुरी प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। विशेषकर कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित किया गया। श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा सुविधाओं के अलावा, हर स्थान पर प्यास बुझाने के लिए पानी की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, यात्रा मार्ग के हर हिस्से में पुलिस बल तैनात है, ताकि यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो सके।

पुरी के कलक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य प्रशासनिक अधिकारी रथ यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा के सुचारु संचालन के लिए मुस्तैद हैं। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी श्रद्धालुओं को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।

इस साल रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्र के रथों को सजाया गया है। भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे बड़ा होता है और इसे नंदीघोषकहा जाता है। इस रथ की लंबाई लगभग 45 फीट है, और इसे खींचने के लिए भारी संख्या में भक्त जुटते हैं। इसके अलावा, बलभद्र और सुभद्र के रथ भी पारंपरिक ढंग से सजाए गए हैं, जो यात्रा के दौरान उनके अनुयायियों द्वारा खींचे जाते हैं। इन रथों को लकड़ी और रंग-बिरंगे कपड़े से सजाया जाता है, और उनकी सुंदरता देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

रथ यात्रा का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक है। यह यात्रा प्रत्येक वर्ष जून-जुलाई महीने में आयोजित होती है और इसका आयोजन हजारों सालों से होता आ रहा है। पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा का इतिहास बहुत पुराना है, और रथ यात्रा इस मंदिर के प्राचीन इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा है।

यह यात्रा भारतीय संस्कृति और धर्म का अद्भुत प्रतीक है, जो श्रद्धा, भक्ति और एकता का संदेश देती है। रथ यात्रा का आयोजन न केवल ओडिशा, बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में भी धूमधाम से मनाया जाता है, और इसे देखने के लिए पर्यटक भी दूर-दूर से आते हैं।

पुरी में हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा एक अभूतपूर्व धार्मिक अनुभव है, जो हर भक्त के लिए आत्मिक शांति और आनंद का स्रोत बनता है। इस यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जो उल्लास और विश्वास है, वह इस आयोजन की महिमा को और भी बढ़ाता है। रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ की दिव्य आशीर्वाद से भक्तों का जीवन और भी समृद्ध और शांतिपूर्ण हो जाता है।

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