राष्ट्रीयशिक्षा

दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी माध्यम से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म पाठ्यक्रम को मंजूरी, 2025-26 से होगी शुरुआत

हिंदी विभाग के अंतर्गत होगा संचालन

दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक मामलों की स्थायी समिति ने पत्रकारिता में हिंदी माध्यम से मास्टर कार्यक्रम (एमए) शुरू करने की मंजूरी दे दी है। यह कार्यक्रम 2025-26 शैक्षणिक सत्र से शुरू होगा और इसे हिंदी विभाग द्वारा संचालित किया जाएगा। इस फैसले को देश में क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने और मीडिया शिक्षा को नई दिशा देने की बड़ी पहल माना जा रहा है।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि यह पाठ्यक्रम पोस्टग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क के अनुरूप तैयार किया गया है। इसमें हिंदी पत्रकारिता के विभिन्न आयामों जैसे प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और सोशल मीडिया पर गहन अध्ययन और व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल होगा। हिंदी पत्रकारिता की बढ़ती भूमिका और क्षेत्रीय भाषाओं की महत्ता को देखते हुए यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है।

यह नया परास्नातक कार्यक्रम दिल्ली विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकल्टी स्थित हिंदी विभाग के अंतर्गत संचालित होगा। विभागाध्यक्ष ने बताया कि इस पाठ्यक्रम को आधुनिक पत्रकारिता की ज़रूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है। इसमें विद्यार्थियों को हिंदी पत्रकारिता के इतिहास, सिद्धांत, तकनीकी कौशल और समाचार लेखन की बारीकियाँ सिखाई जाएँगी।

पाठ्यक्रम में समाचार लेखन, संपादन, रिपोर्टिंग, डेटा पत्रकारिता, डिजिटल मीडिया प्रबंधन जैसे विषयों को प्रमुखता दी गई है। साथ ही, विद्यार्थियों को व्यावहारिक प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप का भी अवसर मिलेगा, जिससे वे समाचार कक्षाओं की वास्तविक कार्यप्रणाली को समझ सकें।

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह कार्यक्रम हमारे विश्वविद्यालय की बहुभाषी परंपरा को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हिंदी माध्यम के इस पाठ्यक्रम से उन छात्रों को बड़ा लाभ होगा जो हिंदी पत्रकारिता में करियर बनाना चाहते हैं और जिनके लिए अंग्रेज़ी माध्यम की पढ़ाई चुनौतीपूर्ण रही है।”

छात्रों और मीडिया विशेषज्ञों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। हिंदी पत्रकारिता से जुड़े कई वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि इस तरह के पाठ्यक्रम से क्षेत्रीय भाषा मीडिया के विकास को बल मिलेगा और देशभर से हिंदी भाषी छात्रों को पत्रकारिता की पढ़ाई में नया अवसर मिलेगा।

गौरतलब है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषाओं और क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय का यह फैसला उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।दिल्ली विश्वविद्यालय का यह प्रयास न केवल हिंदी पत्रकारिता की समृद्ध परंपरा को सम्मान देने वाला है, बल्कि मीडिया की दुनिया में क्षेत्रीय भाषाओं की भूमिका को भी मज़बूत करेगा।

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