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ईवीएम की जगह बैलेट पेपर के उपयोग की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की जगह बैलेट पेपर के उपयोग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप अक्सर चुनाव हारने पर ही लगाए जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा, “चुनाव जीतने पर ईवीएम सही होती है, लेकिन हारने पर कहा जाता है कि ईवीएम में छेड़छाड़ हुई है।” खंडपीठ ने यह भी कहा कि बिना पर्याप्त सबूतों के ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है।याचिकाकर्ता ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और जनता के विश्वास को मजबूत करने के लिए बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग की थी। उनका तर्क था कि ईवीएम के इस्तेमाल से छेड़छाड़ और गड़बड़ी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं।

चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट किया है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनका संचालन कड़े सुरक्षा मानकों के तहत होता है। आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम से मतदान न केवल तेज और सुविधाजनक है, बल्कि इससे चुनावी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और कुशल होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईवीएम पर आरोप अक्सर राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बन जाते हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि जब कोई चुनाव जीतता है, तो ईवीएम को सही ठहराया जाता है, लेकिन हारने पर इन्हीं मशीनों पर सवाल उठाए जाते हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आरोपों के लिए पर्याप्त और विश्वसनीय साक्ष्य होना आवश्यक है।ईवीएम पर सवाल उठाने का यह पहला मामला नहीं है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने समय-समय पर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि, चुनाव आयोग और कई स्वतंत्र जांच एजेंसियों ने बार-बार इन आरोपों को निराधार बताया है।

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