“मैं महिला क्रिकेट के लिए पात्र हूं”: अनाया बांगड़ ने ICC और BCCI से ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के समावेश की रखी मांग
“विज्ञान कहता है मैं महिला क्रिकेट के लिए योग्य हूं”

पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ संजय बांगड़ की संतान अनाया बांगड़, जो पहले आर्यन बांगड़ के नाम से जानी जाती थीं, ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से महिला क्रिकेट में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के समावेश की मांग की है।
अनाया ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो और आठ पन्नों की वैज्ञानिक रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि हार्मोन रिप्लेसमेंट थैरेपी (HRT) के बाद उन्होंने मेडिकल और फिजियोलॉजिकल परीक्षण कराए हैं, जिनके परिणाम उन्हें महिला क्रिकेट के लिए पात्र घोषित करते हैं।
23 वर्षीय अनाया ने बताया कि उन्होंने एक वर्ष तक HRT पूरी करने के बाद मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर अपने मांसपेशी बल, सहनशक्ति, ग्लूकोज़ स्तर और ऑक्सीजन क्षमता का वैज्ञानिक परीक्षण करवाया। यह डेटा सिजेंडर (जैविक महिला) एथलीट्स के साथ तुलनात्मक रूप में दर्ज किया गया।
अनाया ने वीडियो में कहा:
“पहली बार मैं वह वैज्ञानिक रिपोर्ट साझा कर रही हूं जो एक ट्रांस महिला एथलीट के रूप में मेरी यात्रा को दर्ज करती है। बीते वर्ष मैंने संरचित फिजियोलॉजिकल परीक्षण कराए हैं। यह रिपोर्ट केवल राय या धारणा नहीं, बल्कि ठोस डेटा है।”
उन्होंने आगे कहा:
“मैं यह रिपोर्ट पूरी पारदर्शिता के साथ BCCI और ICC को सौंप रही हूं। मेरा मकसद बहस को डर के आधार पर नहीं, तथ्यों के आधार पर आगे ले जाना है। मैं विभाजन नहीं, समावेश चाहती हूं।”
अनाया ने अपने वीडियो को कैप्शन देते हुए लिखा:
“साइंस कहता है मैं वुमेन्स क्रिकेट के लिए एलिजिबल हूं। अब सवाल ये है — क्या दुनिया तैयार है सच सुनने के लिए?”
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तीव्र प्रतिक्रिया पैदा की है। जहां कई लोग अनाया के साहस और पारदर्शिता की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ यूज़र्स ने महिला खिलाड़ियों के लिए अलग पहचान और प्रतिस्पर्धात्मक संतुलन के सवाल भी उठाए हैं।
हाल के वर्षों में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों की खेलों में भागीदारी पर दुनिया भर में बहस तेज़ हुई है। कई खेल संगठन वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर दिशा-निर्देश जारी कर चुके हैं, लेकिन क्रिकेट में यह अभी भी एक जटिल और अनछुआ मुद्दा बना हुआ है।अनाया बांगड़ का यह प्रयास न केवल भारत में बल्कि वैश्विक क्रिकेट समुदाय में भी समावेशिता की दिशा में एक नई चर्चा की शुरुआत कर सकता है।
अब सभी की निगाहें BCCI और ICC पर टिकी हैं — क्या वे अनाया की रिपोर्ट और अपील को गंभीरता से लेंगे? क्या महिला क्रिकेट के नियमों में ट्रांस एथलीट्स के लिए कोई स्पष्ट नीति बनेगी? यह मामला खेल, समाज और विज्ञान के संगम पर खड़ा है और इसका हल सभी हितधारकों के खुले संवाद और सहयोग से ही संभव होगा।
अनाया बांगड़ का यह कदम न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि खेलों में लैंगिक विविधता और समावेशिता के लिए भी एक नई राह खोलता है। उन्होंने विज्ञान, साहस और पारदर्शिता के माध्यम से अपनी बात रखी है।