
नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट पर हाल ही में जो हुआ, वो हैरान कर देने वाला था। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस यानी डीआरआई की टीम ने करीब 9 करोड़ रुपये का सामान जब्त किया, जो देखने में आम सा लग रहा था लेकिन असल में उसके पीछे की कहानी काफी गड़बड़ थी।बात ये थी कि ये सामान दिखाया गया था कि वो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आया है, लेकिन असल में उसकी शुरुआत पाकिस्तान के कराची पोर्ट से हुई थी।
रास्ते में उसे यूएई ले जाया गया और फिर वहां से भारत भेजा गया। दस्तावेज़ ऐसे बनाए गए थे कि लगे जैसे सामान यूएई से आया है, ताकि किसी को शक न हो। लेकिन डीआरआई की टीम को कंटेनर और दस्तावेज़ों में कुछ गड़बड़ महसूस हुई। जब जांच गहराई से की गई, तो साफ हो गया कि माल पाकिस्तान से ही आया था। अब यहां ये बात ज़रूरी है कि भारत सरकार ने 2 मई 2025 से पाकिस्तान से किसी भी तरह का सामान मंगवाने पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। ये फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया था। ऐसे में इस तरह माल को छिपा कर लाना नियम तोड़ने जैसा है। डीआरआई ने इस मामले में एक शख्स को गिरफ्तार भी किया है, जो इस माल को मंगवाने वाली कंपनी से जुड़ा था। उससे पूछताछ जारी है ताकि ये पता चल सके कि इसके पीछे और कौन-कौन है और क्या यह कोई बड़ा नेटवर्क है। इस पूरे अभियान को डीआरआई ने “ऑपरेशन डीप मैनीफेस्ट” नाम दिया है।
इसका मतलब है कि हर कंटेनर की पूरी और गहराई से जांच करना, चाहे कागज़ात कुछ भी कहें। यह मामला सिर्फ व्यापार की गड़बड़ी नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और कानून से भी जुड़ा है। ऐसा लग रहा है जैसे कुछ लोग अब भी फायदा उठाने के लिए नियमों को तोड़ने से पीछे नहीं हटते। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया है कि हमारी जांच एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं। जो भी देश के कानून और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करेगा, उसे अब आसानी से बख्शा नहीं जाएगा।