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मुआवजा योजना बंद: निजी ट्रेनों की समयपालन क्षमता पर उठे सवाल

यात्रियों की शिकायतों के बीच आईआरसीटीसी का बड़ा खुलासा

भारतीय रेलवे कैटरिंग और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) ने पुष्टि की है कि निजी ट्रेनों की देरी पर मुआवजा देने की योजना को पांच साल पहले ही बंद कर दिया गया था। यह जानकारी पीटीआई समाचार एजेंसी द्वारा दायर की गई सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के जवाब में सामने आई।

आईआरसीटीसी ने यात्रियों को समय पर सेवा देने की प्रतिबद्धता के तहत मुआवजा योजना शुरू की थी। यात्रियों को ट्रेनों की देरी से होने वाली असुविधा की भरपाई करना।यदि निजी ट्रेनें निर्धारित समय से देरी करती थीं, तो यात्रियों को मुआवजा दिया जाता था।योजना के तहत यात्रियों को देरी की स्थिति में बीमा पॉलिसी के तहत भुगतान किया जाता था।

आरटीआई के जवाब में आईआरसीटीसी ने खुलासा किया कि इस योजना को पांच साल पहले ही बंद कर दिया गया था।इस योजना को बंद करने के पीछे वित्तीय और प्रबंधन से जुड़े कारण बताए जा रहे हैं।आईआरसीटीसी ने अपनी प्राथमिकताओं को नई सेवाओं और सुविधाओं पर केंद्रित किया है।कई यात्रियों ने योजना के बंद होने पर असंतोष जताया है।समय पर सेवा और देरी की भरपाई की उम्मीद रखने वाले यात्रियों को यह कदम अनुचित लग रहा है।

इस जानकारी का खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के माध्यम से हुआ। यह जानकारी पीटीआई समाचार एजेंसी द्वारा पूछी गई थी।आरटीआई से यात्रियों को रेलवे और आईआरसीटीसी से संबंधित महत्वपूर्ण नीतियों और योजनाओं की जानकारी मिलती है।वर्तमान में आईआरसीटीसी यात्रियों को समय पर सेवाएं देने के लिए अन्य उपायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।आईआरसीटीसी का कहना है कि वह निजी ट्रेनों की समयपालन क्षमता में सुधार के लिए प्रयासरत है।रेलवे की प्राथमिकता यात्रियों को बेहतर अनुभव प्रदान करना है।

यात्रियों की मांग को देखते हुए आईआरसीटीसी मुआवजा योजना पर पुनर्विचार कर सकता है।बेहतर सेवाओं और सुविधाओं के साथ यात्रियों का भरोसा जीतने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।यह जानकारी रेलवे यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि निजी ट्रेनों में देरी पर मुआवजे का प्रावधान अब मौजूद नहीं है। यात्रियों को रेलवे की नई योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जागरूक रहना होगा।

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