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केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भूस्खलन की त्रासदी: दो श्रद्धालुओं की मौत, तीन घायल

तीर्थयात्रियों और कुलियों पर गिरे पत्थर

उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान बुधवार को एक भीषण भूस्खलन की घटना में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य घायल हो गए। यह हादसा सुबह 11:20 बजे जंगलचट्टी घाट के पास हुआ, जब अचानक पहाड़ी से विशाल पत्थर और मलबा नीचे आ गिरा और यात्रियों तथा कुलियों को अपनी चपेट में ले लिया।

प्रशासन के अनुसार, घटना उस समय हुई जब कई श्रद्धालु और कुली जंगलचट्टी से लिनचोली की ओर बढ़ रहे थे। तभी पहाड़ की ऊपरी ढलानों से बड़े-बड़े पत्थर गिरने लगे। कुछ श्रद्धालु और कुली मलबे की चपेट में आ गए, जिससे दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

घायलों में दो पुरुष गंभीर रूप से घायल हैं, जबकि एक महिला को मामूली चोटें आई हैं। घायलों को तत्काल गौरीकुंड प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशासन ने राजस्व पुलिस, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद से अभियान शुरू किया। घटना स्थल गहरी खाई और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण राहत कार्य में काफी मुश्किलें आईं।

एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया,

“घटना स्थल काफी दुर्गम है और चट्टानों के गिरने का सिलसिला थमा नहीं है। इसके बावजूद हमारी टीम ने दो शव बरामद किए हैं और घायलों को सुरक्षित निकाला गया है।”

इस हादसे के बाद भी केदारनाथ यात्रा मार्ग को बंद नहीं किया गया है। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए हैं। सभी यात्रियों को सावधानीपूर्वक यात्रा करने और अधिक वर्षा या भूस्खलन की आशंका पर तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर जाने की सलाह दी गई है।

रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी ने कहा,

“घटना दुखद है। सभी संबंधित एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के आधार पर लगातार निगरानी की जा रही है।”

उत्तराखंड में मानसून की सक्रियता के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन और चट्टानें खिसकने की घटनाएं आम हो गई हैं। केदारनाथ यात्रा मार्ग विशेष रूप से संवेदनशील इलाकों से होकर गुजरता है, जहां हर साल बारिश के मौसम में इस तरह की दुर्घटनाएं देखने को मिलती हैं।

केदारनाथ यात्रा मार्ग पर हुई यह भूस्खलन की घटना एक बार फिर यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा कर रही है। प्रशासन को चाहिए कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार यात्रा को नियंत्रित करे और संवेदनशील स्थलों पर चेतावनी व वैकल्पिक प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं।

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