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अरुणाचल प्रदेश के तुतिंग सेक्टर में भारतीय सेना ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया, पर्वतों के बीच दिखाई अनुशासन और आत्मबल की मिसाल

कठिन परिस्थितियों में भी मानसिक एकाग्रता का प्रतीक बना योग

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश के दूरदराज तुतिंग सेक्टर में योग करके न केवल अनुशासन और आत्मबल का परिचय दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए भी आंतरिक शांति और मानसिक संतुलन बनाए रखना कितना ज़रूरी है।

बर्फ से ढके पहाड़ों, हरे-भरे जंगलों और शांत बहती सियांग नदी के बीच, जवानों ने सामूहिक रूप से योगासन और प्राणायाम किए। यह दृश्य ना सिर्फ प्रेरणादायक था, बल्कि यह संदेश भी देता है कि योग केवल अभ्यास नहीं, बल्कि जीवन शैली है — चाहे वह देश की सीमाओं पर हो या किसी शहर के पार्क में।

भारतीय सेना के जवान दुर्गम और विषम भौगोलिक परिस्थितियों में तैनात रहते हैं। ऐसे में शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ मानसिक संतुलन बनाए रखना उनकी तैयारी का अहम हिस्सा होता है। तुतिंग जैसे सीमावर्ती और सुदूर क्षेत्र में योग करना इस बात का प्रमाण है कि जवान अपने शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए योग को एक अहम साधन मानते हैं।

सेना के एक अधिकारी ने बताया:

“योग हमारे प्रशिक्षण का अभिन्न अंग है। यह हमें न केवल शारीरिक रूप से सक्षम बनाता है, बल्कि मानसिक रूप से भी सजग और शांत रखता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहद आवश्यक होता है।”

तुतिंग सेक्टर का प्राकृतिक सौंदर्य इस योग दिवस पर और भी भव्य हो गया। जवानों ने वृक्षासन, ताड़ासन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्रमुख योगासनों का अभ्यास किया।
सियांग नदी के किनारे, हिमालय की गोद में योग करते हुए सैनिकों का दृश्य न केवल आध्यात्मिक था, बल्कि यह भारत के उस चेहरे को भी दर्शाता है जो आधुनिकता और परंपरा के संतुलन में विश्वास रखता है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर पूरे देश में आयोजन हुए, लेकिन सेना द्वारा इस तरह सीमावर्ती क्षेत्रों में योग करना राष्ट्रभक्ति और आत्मबल का एक गहरा उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संदेश में कहा था कि योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का साधन नहीं, बल्कि यह मन को शांत रखने का माध्यम भी है।

तुतिंग सेक्टर में भारतीय सेना द्वारा मनाया गया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस नवाचार, निष्ठा और आत्मसंयम की मिसाल बनकर सामने आया है।
जहां एक ओर सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा में तत्पर रहते हैं, वहीं योग के ज़रिए वे अपने भीतर भी संतुलन और ऊर्जा बनाए रखते हैं।

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