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भारत को मिलेगा पहला सैन्य विमान निर्माण संयंत्र: वडोदरा में टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन

गुजरात के वडोदरा में भारत का पहला सैन्य विमान निर्माण संयंत्र स्थापित होने जा रहा है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके स्पेनिश समकक्ष पेड्रो सांचेज ने संयुक्त रूप से किया। यह संयंत्र टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स में स्थापित किया गया है, जहां C-295 सैन्य परिवहन विमान का उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना का उद्देश्य भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा देना है।

C-295 विमान का निर्माण स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के सहयोग से किया जाएगा, और इसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना को मजबूत करना है। यह विमान 5 से 10 टन वजन तक का माल ढोने में सक्षम है और इसे ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भारतीय वायुसेना को इन विमानों की आवश्यकता अपनी पुरानी एवरो-748 विमानों की जगह लेने के लिए है, जो अब काफी पुराने हो चुके हैं।

इस परियोजना के तहत वडोदरा में बने इस टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स में एक “प्राइवेट फाइनल असेंबली लाइन (FAL)” स्थापित की गई है, जो भारत में सैन्य विमान के निर्माण में मील का पत्थर है। यह पहली बार है कि भारत में किसी निजी क्षेत्र द्वारा सैन्य विमानों का निर्माण किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के पहल से न केवल भारत का रक्षा क्षेत्र मजबूत होगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह परियोजना भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत बनाएगी और देश को रक्षा उत्पादन में अग्रणी बनाने में सहायक होगी। उन्होंने जोर दिया कि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता से न केवल भारत की सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि भारत वैश्विक रक्षा उत्पादों के निर्यातक के रूप में भी अपनी पहचान बनाएगा। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने भी इस अवसर पर भारत के साथ अपने देश के घनिष्ठ संबंधों और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के रक्षा उत्पादन संयंत्र के साथ स्पेन और भारत के बीच रक्षा संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ गया है।

इस संयंत्र से करीब 16,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की संभावना है। इसके अलावा, इस परियोजना से छोटे और मझौले उद्योगों को भी काफी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि विमान के विभिन्न हिस्सों का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से भारत का रक्षा उत्पादन और अधिक सुदृढ़ होगा, जिससे देश रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता कम कर सकेगा और भारतीय सेना को अपनी रक्षा क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यह संयंत्र “मेक इन इंडिया” के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान मिलेगी।

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