दिल्ली में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने हटाए 107 फर्जी वकीलों के नाम
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने दिल्ली में अपनी छानबीन के तहत 2019 से अक्टूबर 2024 तक 107 फर्जी वकीलों के नाम हटा दिए हैं। यह कदम कानून के पेशे में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। बार काउंसिल की इस कार्रवाई से यह संदेश मिलता है कि पेशे में किसी भी प्रकार की अनियमितता और फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस अभियान के अंतर्गत, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों की शैक्षिक योग्यता और प्रमाण पत्रों की गहन जांच की। कई वकीलों के प्रमाणपत्र और डिग्री फर्जी पाए गए, जिन्हें पेशे में आने के लिए ग़लत दस्तावेज़ों का सहारा लिया गया था। बार काउंसिल का कहना है कि ऐसे लोगों को कानून के पेशे में बने रहने की अनुमति देना न्याय प्रणाली के मूल्यों के साथ अन्याय है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने बताया कि यह अभियान 2019 में शुरू किया गया था और तब से लेकर अब तक इसमें सख्ती से कार्रवाई की गई है। दिल्ली में फर्जी वकीलों की उपस्थिति न केवल पेशे की गरिमा को कम करती है, बल्कि इससे न्याय पाने के अधिकार में भी बाधा आती है। फर्जी वकीलों की पहचान के लिए बार काउंसिल ने तकनीकी साधनों का भी सहारा लिया और विभिन्न विश्वविद्यालयों से वकीलों की शैक्षिक प्रमाणिकता को सत्यापित किया।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने कहा कि यह कदम आवश्यक था ताकि इस पेशे में एक स्वच्छ और पेशेवर वातावरण बना रहे। इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देशभर में इस प्रकार की जांच को निरंतरता दी जाएगी, जिससे अन्य राज्यों में भी फर्जी वकीलों की पहचान हो सके। दिल्ली में इस कदम के बाद, उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्यों की बार काउंसिल भी अपने यहां इस तरह की छानबीन को बढ़ावा देगी।
वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस पहल से वकीलों की साख और पेशे में भरोसा मजबूत होगा। फर्जी वकीलों की पहचान से न केवल असली वकीलों को लाभ होगा, बल्कि आम नागरिकों को भी पेशे में पारदर्शिता का अनुभव होगा। वकील बनने के लिए जिस मेहनत और प्रमाणिकता की आवश्यकता होती है, उसे बरकरार रखना पेशे की प्रतिष्ठा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।