सारंगी के महान कलाकार पंडित राम नारायण का 96 वर्ष की आयु में निधन
प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित राम नारायण का 9 नवंबर को 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 1927 में जन्मे पंडित राम नारायण हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक महान कलाकार और सारंगी के दिग्गज माने जाते थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में सारंगी वादन की कला को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई। उनके निधन से संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
पंडित राम नारायण ने शास्त्रीय संगीत में सारंगी वादन को एक नई ऊँचाई तक पहुंचाया। उन्होंने बचपन से ही सारंगी बजाना शुरू किया था और धीरे-धीरे वे इस वाद्य यंत्र के सबसे महान कलाकारों में से एक बन गए। उनका संगीत देश-विदेश में सराहा गया और उन्होंने कई प्रमुख संगीत समारोहों में अपनी प्रस्तुतियाँ दीं। वे पहले सारंगी वादक थे जिन्होंने इस वाद्य यंत्र को एकल प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी।
पंडित राम नारायण को उनके अतुलनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, जो कि देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इसके अलावा, उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए प्रदान किया गया था। उनके इन सम्मानों ने उनके कला कौशल और संगीत में उनके समर्पण को और अधिक प्रतिष्ठा दी।
पंडित राम नारायण का जन्म 1927 में हुआ था और उन्होंने छोटी उम्र में ही संगीत की ओर कदम बढ़ाया। उनके गुरुओं ने उनके संगीत कौशल को पहचान कर उन्हें संगीत की गहराइयों में प्रशिक्षित किया। अपनी संगीत यात्रा में उन्होंने कई महान संगीतज्ञों के साथ काम किया और सारंगी को भारतीय शास्त्रीय संगीत का महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया। उन्होंने दुनिया भर में संगीत के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया और अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पंडित राम नारायण के निधन से संगीत प्रेमियों और उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई है। संगीत जगत के कई बड़े नामों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया। उनकी कला और उनकी ध्वनि ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के परिदृश्य को समृद्ध किया और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा के रूप में रहेगा।