संजय मल्होत्रा बने नए आरबीआई गवर्नर, 11 दिसंबर 2024 से संभालेंगे पद
पिछले गवर्नर के कार्यकाल के बाद आरबीआई को नई दिशा देने की उम्मीद
राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का नया गवर्नर नियुक्त किया गया है। वह 11 दिसंबर 2024 से तीन वर्षों के लिए इस महत्वपूर्ण पद का कार्यभार संभालेंगे। उनकी नियुक्ति का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है, जिससे आरबीआई की नीतिगत और प्रशासनिक दिशा को लेकर नई उम्मीदें जुड़ गई हैं।
संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में उनका कार्यकाल उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने वित्तीय सुधारों और कराधान नीति के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय बीमा निगम (LIC) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है।
संजय मल्होत्रा को आरबीआई गवर्नर के रूप में ऐसे समय में कार्यभार सौंपा जा रहा है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना, रुपये की स्थिरता बनाए रखना और आर्थिक विकास को गति देना उनके लिए प्राथमिकता होगी।विशेषज्ञों का मानना है कि मल्होत्रा का प्रशासनिक अनुभव और वित्तीय क्षेत्र में उनकी गहरी समझ आरबीआई को नई दिशा देने में मददगार साबित होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संजय मल्होत्रा की नियुक्ति पर खुशी जताते हुए कहा, “संजय मल्होत्रा एक कुशल प्रशासक और वित्तीय विशेषज्ञ हैं। हमें विश्वास है कि उनकी अगुवाई में आरबीआई देश की आर्थिक चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना करेगा।”वहीं, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि उनके नेतृत्व में आरबीआई में स्थिरता और विकास की नई राह तैयार होगी।
आरबीआई गवर्नर के रूप में मल्होत्रा के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे होंगे:
- मुद्रास्फीति नियंत्रण: महंगाई को नियंत्रित करना उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक होगा।
- रुपये की स्थिरता: वैश्विक बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती सुनिश्चित करना।
- डिजिटल बैंकिंग का विस्तार: फिनटेक और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना।
- साख व्यवस्था सुधार: छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए आसान ऋण प्रक्रिया सुनिश्चित करना।
संजय मल्होत्रा वर्तमान गवर्नर का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल 10 दिसंबर 2024 को समाप्त हो रहा है। पिछले गवर्नर ने भी अपने कार्यकाल में आरबीआई को स्थिरता प्रदान की, लेकिन अब नई नीतियों की उम्मीद की जा रही है।