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तीन साल, आठ महीने और सात दिन की देरी से पहुंची मालगाड़ी, बनी सबसे अधिक विलंबित ट्रेन

विशाखापत्तनम से बस्ती तक की यात्रा पूरी करने में लगे लगभग चार साल

भारतीय रेलवे के इतिहास में एक अनोखा और हैरान करने वाला मामला सामने आया है। विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती तक जाने वाली एक मालगाड़ी ने तीन साल, आठ महीने और सात दिन की देरी से अपनी यात्रा पूरी की। यह ट्रेन अब तक की सबसे अधिक विलंबित ट्रेन बन गई है।

मालगाड़ी ने अपनी यात्रा 2014 में विशाखापत्तनम से शुरू की थी। ट्रेन में 1,316 बैग डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) उर्वरक लदे हुए थे, जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले तक पहुंचाए जाने थे। लेकिन विभिन्न तकनीकी, प्रशासनिक और अन्य कारणों से यह ट्रेन लगभग चार साल बाद अपने गंतव्य पर पहुंची।इस विलंब ने न केवल रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसे भारतीय रेलवे के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक विलंबित ट्रेन के रूप में दर्ज किया गया है। रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, इतनी लंबी देरी पहले कभी नहीं हुई।

रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन की देरी के पीछे कई कारक थे, जैसे तकनीकी खराबी, मार्ग में रुकावटें और प्रशासनिक लापरवाही। हालांकि, इस घटना ने रेलवे की लापरवाही और माल ढुलाई में मौजूद खामियों को उजागर किया है।
एक रेलवे अधिकारी ने बताया, “हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और संबंधित विभागों से रिपोर्ट मांगी गई है। इस तरह की देरी अस्वीकार्य है।”

इतने लंबे समय तक रास्ते में फंसे रहने के कारण उर्वरकों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि उर्वरक की सही स्थिति की जांच होनी चाहिए, क्योंकि इतनी लंबी अवधि तक भंडारण से उसकी उपयोगिता प्रभावित हो सकती है।

इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। लोग इसे भारतीय रेलवे की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक मान रहे हैं। कुछ ने इसे हास्यास्पद बताया, तो कुछ ने इसे प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक कहा।रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।” उन्होंने यात्रियों और मालगाड़ी सेवाओं में सुधार के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है।

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