राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नायक दिलावर खान को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से किया सम्मानित, वीरता की मिसाल बनी शहादत
जुलाई 2024 में हुई थी शहादत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को एक भावुक समारोह में जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए नायक दिलावर खान को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। यह वीरता सम्मान दिलावर खान की मां और पत्नी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में ग्रहण किया।
नायक दिलावर खान ने जुलाई 2024 में कुपवाड़ा जिले में एक आतंकवादी को मार गिराने के बाद शहादत दी थी। यह मुठभेड़ बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हुई थी, जहां उन्होंने जान की परवाह किए बिना दुश्मन का सामना किया और अपनी टीम की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए आतंकवादी को ढेर कर दिया।
उनकी बहादुरी, कर्तव्यनिष्ठा और बलिदान को देश ने सलाम किया और उसी की मान्यता के रूप में उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च शांति काल वीरता पुरस्कार — कीर्ति चक्र से नवाज़ा गया।दिलावर खान को सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह में जब उनकी मां और पत्नी ने पुरस्कार प्राप्त किया, तो माहौल बेहद भावुक हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोनों को ढांढस बंधाया और पूरे देश की ओर से श्रद्धांजलि और आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कई गणमान्य लोग, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और अन्य पुरस्कार विजेता भी मौजूद थे।
भारतीय सेना ने भी नायक दिलावर खान की वीरता को नमन करते हुए कहा कि,
“नायक दिलावर खान ने अपने प्राणों की आहुति देकर न केवल अपने साथियों की जान बचाई बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक मिसाल कायम की। उनकी शहादत को देश हमेशा याद रखेगा।”
कीर्ति चक्र भारत का दूसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है, जो शांति काल में असाधारण साहस, कर्तव्य और बलिदान के लिए दिया जाता है। इसे मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है, और यह पुरस्कार सेना के साथ-साथ नागरिकों को भी मिल सकता है।
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद दिलावर खान की पत्नी ने कहा,
“हमें उन पर गर्व है। वे हमेशा देश के लिए कुछ बड़ा करना चाहते थे। उनकी शहादत दुखद है, लेकिन उन्होंने जो किया, वह पूरे देश के लिए गर्व की बात है।”
नायक दिलावर खान की कहानी देश के युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनके बलिदान ने यह साबित कर दिया कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो एक सैनिक अपने जीवन की परवाह किए बिना आगे बढ़ता है। कीर्ति चक्र उनके साहस और समर्पण की अमिट पहचान बन गया है, जिसे देश कभी नहीं भूलेगा।