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अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीज़ा साक्षात्कार पर रोक लगाने का आदेश, अमेरिका में नई सामाजिक मीडिया जाँच लागू

अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर असर

ट्रम्प प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वीज़ा साक्षात्कार रोकने का आदेश दिया है। यह कदम पूरी दुनिया के अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में तुरंत प्रभाव से लागू होगा। आदेश के तहत एफ (F), एम (M) और जे (J) श्रेणी के वीज़ा – जो छात्रों और एक्सचेंज विज़िटर्स के लिए जारी किए जाते हैं – के लिए नई नियुक्तियों को स्थगित करने को कहा गया है।

विदेश विभाग (स्टेट डिपार्टमेंट) द्वारा मंगलवार को भेजे गए एक गोपनीय संदेश में कहा गया है कि यह रोक अमेरिका में वीज़ा के लिए आवेदन करने वाले सभी लोगों पर लागू की जाने वाली सोशल मीडिया जाँच की नई नीति के हिस्से के तौर पर की गई है। इसके तहत प्रत्येक आवेदक के सोशल मीडिया प्रोफाइल की गहन जाँच की जाएगी, जिसमें उनके अकाउंट्स, पोस्ट और डिजिटल गतिविधियों को खंगाला जाएगा।

इस फैसले से अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए आवेदन करने वाले हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों की उम्मीदों को झटका लगा है। शिक्षा विशेषज्ञों और विश्वविद्यालयों ने इस आदेश की आलोचना की है, क्योंकि इससे न केवल दाखिले में देरी होगी, बल्कि विश्वविद्यालयों के वित्तीय ढांचे पर भी असर पड़ेगा। विदेशी छात्रों की फीस से विश्वविद्यालयों की आय का बड़ा हिस्सा आता है, और यह कदम उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर सकता है।

एक विश्वविद्यालय प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, “यह नीतिगत बदलाव न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि हमारी अकादमिक प्रतिष्ठा और सांस्कृतिक विविधता को भी नुकसान पहुंचाएगा।”आलोचकों का कहना है कि यह कदम ट्रम्प प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालयों पर “वामपंथी विचारधारा” का अड्डा होने के आरोपों के बाद उठाया गया है। ट्रम्प ने हाल ही में कई विश्वविद्यालयों पर “फार-लेफ्ट आइडियोलॉजी” को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। अब इस आदेश को उसी संदर्भ में देखा जा रहा है, जो शिक्षा जगत पर हमला माना जा रहा है।

नई दिल्ली स्थित एक छात्र सलाहकार ने कहा, “विदेश में पढ़ाई के लिए आवेदन कर रहे छात्रों के बीच बहुत डर और भ्रम फैल गया है। वे नहीं जानते कि आगे क्या करना है, क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया के लिए समय सीमित होती है।” छात्र संगठनों ने अमेरिकी दूतावासों से जल्द से जल्द स्पष्टीकरण की मांग की है, ताकि छात्रों की योजनाएं प्रभावित न हों।

हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह रोक कब तक जारी रहेगी। अधिकारियों ने संकेत दिया है कि सोशल मीडिया जाँच की नई प्रक्रियाओं के लागू होने तक यह रोक बनी रह सकती है। इसका मतलब है कि छात्रों को अगले सत्र के लिए वीज़ा साक्षात्कार मिलने में महीनों की देरी हो सकती है।

भारत से हर साल लाखों छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाते हैं। इस आदेश से भारतीय छात्रों के बीच भी चिंता की लहर दौड़ गई है। कई छात्र और माता-पिता इस समय वीज़ा साक्षात्कार की प्रतीक्षा कर रहे हैं और अब वे अनिश्चितता में हैं कि उनका शैक्षणिक सपना पूरा होगा या नहीं।

ट्रम्प प्रशासन का यह फैसला वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका की भूमिका को चुनौती दे सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के आदेश अमेरिका की “शिक्षा के लिए पसंदीदा गंतव्य” की छवि को कमजोर करेंगे और वैश्विक स्तर पर उसकी साख पर असर डालेंगे।

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