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भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का केंद्र, G7 में जरूरी है इसकी भागीदारी: कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी

भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा है कि भारत न केवल विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि वह कई अहम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का केंद्र भी है। ऐसे में आगामी G7 शिखर सम्मेलन में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।

कार्नी ने यह टिप्पणी एक वैश्विक व्यापार और रणनीतिक सहयोग पर आयोजित सम्मेलन के दौरान की, जहां उन्होंने भारत की आर्थिक शक्ति, वैश्विक स्थिति और रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “आज के वैश्विक परिदृश्य में भारत की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि जलवायु, तकनीकी नवाचार और भू-राजनीतिक स्थिरता के संदर्भ में भी एक निर्णायक शक्ति बन चुका है।”

प्रधानमंत्री कार्नी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और उसके पास युवा जनसंख्या, तकनीकी प्रगति और नीति-निर्माण में स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण घटक हैं, जो उसे वैश्विक मंच पर अग्रणी बनाते हैं।उन्होंने कहा कि भारत की भागीदारी के बिना जलवायु परिवर्तन, व्यापार नियमों, वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर कोई भी ठोस समाधान संभव नहीं है।

G7 शिखर सम्मेलन, जो इस महीने के अंत में आयोजित होने जा रहा है, उसमें कनाडा भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में आमंत्रित करने की वकालत कर रहा है। कार्नी ने कहा, “अगर हम वास्तव में समावेशी और प्रभावी वैश्विक निर्णय चाहते हैं, तो भारत जैसे देशों की भागीदारी अपरिहार्य है। भारत न केवल वैश्विक व्यापार के लिए अहम है, बल्कि वह विकासशील देशों की भी आवाज़ है।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारत का तकनीकी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में बढ़ता प्रभाव भविष्य की वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कार्नी ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी घटनाओं के बाद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की स्थिरता को लेकर जो चिंताएं उत्पन्न हुई हैं, उसमें भारत ने अपनी रणनीतिक स्थिति से महत्वपूर्ण संतुलन बनाया है।
उन्होंने कहा, “भारत अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं रहा, बल्कि वह वैश्विक विनिर्माण, फार्मा, आईटी और टेक्नोलॉजी हब बन चुका है। ऐसे में उसकी भूमिका रणनीतिक रूप से और भी अहम हो गई है।”

कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की यह टिप्पणी वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती स्वीकार्यता और भूमिका को दर्शाती है। G7 जैसे समूहों में भारत की भागीदारी विश्व संतुलन, सहयोग और स्थिरता के लिए आवश्यक है। भारत के लिए यह एक और संकेत है कि उसकी वैश्विक स्थिति अब केवल एक विकासशील देश की नहीं, बल्कि एक निर्णायक और स्थायी शक्ति की बनती जा रही है।

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