राजनीतिराज्यराष्ट्रीय

कर्नाटक में नए जातिगत सर्वे का आदेश, कांग्रेस नेतृत्व ने सरकार को 60-80 दिनों में सर्वे पूरा करने के निर्देश दिए

सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम

कांग्रेस नेतृत्व ने कर्नाटक सरकार को राज्य में नई जातिगत जनगणना (Caste Survey) कराने का निर्देश दिया है। यह फैसला उस पुरानी जनगणना को लेकर सामने आई चिंताओं के मद्देनज़र लिया गया है, जो करीब एक दशक पहले की गई थी और जिसमें कई समुदायों को या तो शामिल नहीं किया गया या फिर उनकी सामाजिक स्थिति को सही ढंग से दर्ज नहीं किया गया।

कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को निर्देश दिया कि अगले 60 से 80 दिनों के भीतर नया जातिगत सर्वेक्षण शुरू किया जाए और उसे समय पर पूरा किया जाए, ताकि सभी वर्गों को सामाजिक न्याय और समानता मिल सके।

2015 में कर्नाटक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पहली बार सामाजिक-आर्थिक जातिगत सर्वेक्षण (SECC) कराया था। लेकिन यह रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई। हाल ही में कई सामाजिक संगठनों और समुदायों ने आरोप लगाया कि उस सर्वेक्षण में उनकी संख्या को या तो कम दिखाया गया या फिर उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।

इन चिंताओं के मद्देनज़र कांग्रेस नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा और नया सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया गया, ताकि सभी वर्गों की सामाजिक स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई है और संकेत दिया है कि राज्य सरकार सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि “हमारा उद्देश्य किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव नहीं करना है। नए सर्वेक्षण से हमें सभी वर्गों की वास्तविक सामाजिक और आर्थिक स्थिति को समझने में मदद मिलेगी।”

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा, “हम कांग्रेस नेतृत्व के निर्देशों का पूरी तरह पालन करेंगे। नए जातिगत सर्वेक्षण में पूर्ण पारदर्शिता और व्यापकता सुनिश्चित की जाएगी।”

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम कांग्रेस की ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को साधने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर 2026 में संभावित लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए।राजनीतिक विश्लेषक प्रो. एन.एस. राघव ने कहा, “जातिगत आंकड़े न सिर्फ सामाजिक योजनाओं की दिशा तय करते हैं बल्कि राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करते हैं। नए सर्वे से कांग्रेस को अपने वोट बैंक को और मजबूत करने में मदद मिल सकती है।”

हालांकि, भाजपा ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा, “कांग्रेस जातिगत सर्वेक्षण को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है। उनका उद्देश्य सिर्फ वोटबैंक की राजनीति है, न कि सामाजिक न्याय।”कर्नाटक में नया जातिगत सर्वेक्षण राज्य की राजनीति और सामाजिक संरचना दोनों के लिए अहम साबित हो सकता है। अगर इसे पारदर्शिता, निष्पक्षता और वैज्ञानिक पद्धति से किया जाता है, तो यह नीति निर्धारण और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए एक मजबूत आधार बन सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button