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क्रोएशिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को मिला ऐतिहासिक उपहार — 1790 में लैटिन में प्रकाशित ‘संस्कृत व्याकरण’ की प्रति

भारत-क्रोएशिया संबंधों को मिलेगी नई दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक क्रोएशिया यात्रा के दौरान एक विशेष और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षण देखने को मिला, जब क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रे प्लेंकोविच ने उन्हें 1790 में लैटिन भाषा में प्रकाशित ‘संस्कृत व्याकरण’ (Sanskrit Grammar) की पुनर्प्रकाशित प्रति उपहार में दी।

यह ग्रंथ क्रोएशियाई विद्वान और मिशनरी फिलिप वेज़दीन (Filip Vezdin) द्वारा भारत में अपने प्रवास के दौरान लिखा गया था और यह इतिहास में पहली बार था जब संस्कृत व्याकरण को लैटिन भाषा में मुद्रित किया गया। यह उपहार न केवल भारत-क्रोएशिया सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है, बल्कि यह दोनों देशों की साझा बौद्धिक विरासत को भी सम्मानित करता है।

प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने मोदी को भारत-क्रोएशिया द्विपक्षीय संबंधों पर आधारित एक और विशेष पुस्तक — ‘Croatia & India’ — भी भेंट की। इस पुस्तक में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों की झलक प्रस्तुत की गई है।

इस मौके पर प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा:

“हमने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ज़ाग्रेब में स्वागत किया! यह भारत के किसी प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली ऐतिहासिक यात्रा है, जो एक अहम भू-राजनीतिक मोड़ पर हो रही है। हम भारत-क्रोएशिया संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को सशक्त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

प्रधानमंत्री मोदी और उनके क्रोएशियाई समकक्ष के बीच हुई इस मुलाकात में आर्थिक सहयोग, नवाचार, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में समझौते हुए। दोनों नेताओं ने भारत और क्रोएशिया के बीच व्यापार और निवेश को प्रोत्साहन देने पर विशेष बल दिया।

बैठक में यह भी सहमति बनी कि भारत और क्रोएशिया आने वाले समय में स्टार्टअप और डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक-दूसरे के साथ और अधिक साझेदारी करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी के ज़ाग्रेब पहुंचने पर भारतीय प्रवासी समुदाय ने उनका भव्य स्वागत किया। ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारों के साथ स्वागत समारोह में मोदी ने कहा:

“यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि हमारी सांस्कृतिक जड़ें इतनी गहरी और विश्वव्यापी हैं। संस्कृत व्याकरण का यह ऐतिहासिक उपहार भारत और क्रोएशिया के बौद्धिक रिश्तों का प्रमाण है।”

फिलिप वेज़दीन, जिन्हें पाउलिनुस ए सेंट बार्थोलोमियो (Paulinus a Sancto Bartholomaeo) के नाम से भी जाना जाता है, 18वीं शताब्दी के एक कैथोलिक मिशनरी और भाषाविद थे। वे भारत में लंबे समय तक रहे और उन्होंने भारतीय भाषाओं, विशेषकर संस्कृत, पर शोध किया। 1790 में उन्होंने ‘Sanskrit Grammar’ नामक ग्रंथ लैटिन भाषा में प्रकाशित किया, जो संस्कृत को पश्चिमी दुनिया में पहचान दिलाने में मील का पत्थर साबित हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली क्रोएशिया यात्रा न केवल द्विपक्षीय कूटनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह सांस्कृतिक संबंधों के एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। ऐतिहासिक ‘संस्कृत व्याकरण’ ग्रंथ का भेंट स्वरूप मिलना इस बात का प्रतीक है कि भारत की भाषा और संस्कृति वैश्विक स्तर पर किस कदर सम्मानित और सराही जा रही है।

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