आम तौर पर अपनाये जाने वाली परम्परा से इतर इस बार लोकसभा अध्यक्ष का चयन निर्विरोध नहीं होगा, अब अध्यक्ष का चयन चुनाव के जरिये होगा। NDA ने पिछले लोकसभा अध्यक्ष और कोटा से तीसरी बार जीतकर सांसद बने ओम बिड़ला को फिर से उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्ष ने केरल से कांग्रेस के आठ बार के सांसद के सुरेश पर दाँव खेला है। लोकसभा में बीजेपी 240 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है तो वही NDA गठबंधन के पास कुल 293 सांसद हैं। विपक्ष में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है जिसके पास 99 सांसद हैं पर राहुल गाँधी चूँकि दो लोकसभा क्षेत्रों से निर्वाचित हुए है ऐसे में कांग्रेस के सांसदों की वास्तविक संख्या 98 है। विपक्षी गठबंधन के पास कुल 233 है तो जबकि 7 निर्दलीय और 16 अन्य भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं.
अगर NDA गठबंधन सब ठीक रहा तो NDA उम्मीदवार ओम बिड़ला को अध्यक्ष बनने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए जबकि विपक्षी गठबंधन की अहम पार्टी TMC कांग्रेस के कदम से नाराज दिखाई दे रही है। TMC का कहना है कि विपक्षी उम्मीदवार बनाये जाने से पहले उनसे कोई संपर्क नहीं किया गया और अपनी नाराजगी को जाहिर करते हुए TMC ने विपक्ष के उम्मीदवार के सुरेश के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर भी नहीं किये.
स्पीकर के नाम पर सहमति की कोशिश
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और किरन रिजिजु ने विपक्षी गठबंधन के नेताओं से बात कर अध्यक्ष के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की। विपक्षी दलों का कहना है कि अगर लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाये तो विपक्ष स्पीकर चुनाव में सरकार को समर्थन देगा। आम सहमति बनाने के लिए राजनाथ सिंह ने कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन के नेताओं से संपर्क किया पर सरकार और विपक्ष के बीच आम सहमति नहीं बनी और अब लोकसभा अध्यक्ष का चयन चुनाव के जरिये होगा.