
शिमला के भट्टाकुफर इलाके में आज सुबह एक बेहद डराने वाला हादसा हुआ, जो किस्मत से एक बड़ी त्रासदी में तब्दील होने से बच गया। सुबह करीब आठ बजे एक पांच मंजिला इमारत अचानक ज़मीन पर गिर पड़ी। पलभर में जो इमारत खड़ी थी, वो मलबे का ढेर बन गई। लेकिन सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि अंदर कोई नहीं था।
दरअसल, शनिवार रात से ही इमारत में दरारें नज़र आ रही थीं। लगातार हो रही बारिश के कारण ज़मीन पहले ही काफी गीली और कमजोर हो चुकी थी। स्थानीय लोगों ने जब हालात को गंभीर पाया, तो तुरंत प्रशासन को जानकारी दी। प्रशासन ने भी समय बर्बाद किए बिना पूरी इमारत को खाली करा लिया। यह सतर्कता ही थी कि जब आज सुबह इमारत गिरी, तब कोई वहां मौजूद नहीं था। बताया जा रहा है कि हादसे की एक बड़ी वजह इमारत के पास चल रहा हाईवे चौड़ीकरण का काम हो सकता है। भारी मशीनों की खुदाई, तेज़ निर्माण गतिविधियां और लगातार बारिश – इन सबका असर ज़मीन पर पड़ा और नींव बैठ गई। अब जांच की जा रही है कि क्या निर्माण कार्य से पहले ज़मीन की स्थिरता को लेकर समुचित आकलन किया गया था या नहीं।
घटना के बाद राहत और बचाव टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। आसपास की दो और इमारतों में भी दरारें देखी गई हैं, जिन्हें अब खाली कराया जा रहा है। लोग डरे हुए हैं, कई परिवारों को अचानक अपना घर छोड़ना पड़ा है। वे अब जानना चाहते हैं कि उनका भविष्य क्या होगा और क्या वे सुरक्षित हैं। सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल सिर्फ इस एक इमारत का नहीं है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है – क्या हम पहाड़ों की ज़मीन को समझे बिना उन पर इतना बोझ डाल रहे हैं? क्या हर विकास कार्य के साथ ज़रूरी एहतियात बरती जा रही है?