दिल्ली विधानसभा चुनाव:- मॉरल ऑफ़ द स्टोरी- शराब ‘आप’ के लिए हानिकारक है
शराब घोटाले के फेर में दिल्ली से “आप” हुई साफ

दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को अर्श से फर्श का सफर तय करा दिया। 2012 में कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान के अन्ना आंदोलन की मुहीम से उपजी पार्टी आज अचेत अवस्था में है। पिछले 2 बार के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में एकतरफा जीत हासिल करने वाली पार्टी आज दिल्ली में राजनैतिक वनवास पर है। 2015 में 70 में से 67 और 2019 में 62 सीटों पर विजयी पताका फहराने वाली आप इस चुनावी समर में महज 22 के आकड़े पर सिमट गयी। आम आदमी पार्टी के लिए ये चुनाव सदमों भरा रहा। पार्टी के सर्वे-सर्वा अरविन्द केजरीवाल, जिनके जिम्मे पार्टी की नैय्या को पार लगाने की जिम्मेदारी थी खुद अपनी नाव डुबो बैठे। नई दिल्ली विधानसभा सीट से उनको बीजेपी के प्रवेश वर्मा के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
नाँव डूबने की बात सिर्फ केजरीवाल तक ही सिमित नहीं है। पार्टी के तमाम सुरमा एक-एक कर इस चुनावी समर में धराशाही हो गये। आम आदमी पार्टी का किला ताश के पत्तो की तरह भरभराकर गिर गया। चाहे मनीष सिसोदिया हों या सतेंद्र जैन सब महारथी इस समर में चारों खाने चित हो गए। नये-नये नेता बने कोचिंग गुरु अवध ओझा मनीष सिसोदिया से तोहफे में मिली सीट भी नहीं बचा पाए और बीजेपी के युवा नेता रवि नेगी से चुनाव हार गए। परंपरागत रूप से पिछले 2 चुनावों में आप को वोट देने वाले OBC और SC समुदाय के वोट प्रतिशत में इस बार भारी गिरावट देखने को मिली। पिछली बार के मुकाबले इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के वोट शेयर में 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी जबकि सीटों के लिहाज से उसे 40 सीटों का नुक्सान उठाना पड़ा.
शराब घोटाले आरोपों से पार्टी की छवि को बड़ा नुकसान
लोगों के बीच नई किस्म की राजनीती का दवा करने वाली पार्टी की छवि को उस समय बड़ा दाग लगा जब आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति का ऐलान कर दिल्ली में बेतहाशा शराब की नई दुकानें खोलने के लाइसेंस बाँट दिए। सरकार पर नई आबकारी नीति के तहत शराब घोटाले का आरोप लगे और घोटाले की आँच सरकार में नंबर दो और उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया तक पहुंच गयी। मनीष सिसोदिया जो की सरकार में शिक्षा मंत्री का कार्यभार देख रहे थे शराब घोटाले के आरोप में जेल चले गए और फिर सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी शराब घोटाले के आरोप में तिहाड़ भेजे गए.
घरों में नलों से आता गन्दा बदबूदार पानी और अमोनिया के झाग से भरी पड़ी यमुना ने लोगों के मन में सरकार के काम-काज के प्रति नाराजगी भर दी। पिछले 10 सालों के कार्यकाल के दौरान हर नाकामी के लिए अरविन्द केजरीवाल का केंद्र पर ठीकरा फोड़ने की आदत से भी जनता के बीच सरकार की छवि ख़राब हुई और रही सही कसर शीशमहल की फ़िजूल खर्ची ने पूरी कर दी। दरसल राजनीती के शुरुवाती दौर में जिस नैतिकता और सादगी की बातें अरविन्द केजरीवाल करते थे समय के साथ खुद केजरीवाल उन्हें त्याग दिया। ऐसे में करोड़ों के खर्चों से बने शीशमहल को बीजेपी ने दिल्ली में चुनावी मुद्दा बनाकर केरीवाल पर खूब हमले किये और परिणाम इस बात की तस्दीक करते हैं की बीजेपी जनता तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रही.
शराब घोटाले से शुरू हुए आम आदमी पार्टी सरकार की मुश्किलें हर दिन बढ़ती गयी। घोटालों के आरोप में जेल गए सीनियर नेताओं के प्रति जनता के भरोसे में कमी आयी और नतीजा आज सबके सामने है। स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बड़े-बड़े दावे करनी वाली सरकार देश में शायद पहली राज्य सरकार होगी जिसके मुखिया शराब घोटाले में जेल गए। इसलिए कहा जा सकता है कि शराब ‘आप’ के लिए हानिकारक है.