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हार्वर्ड लॉ स्कूल के वाइस डीन डेविड विल्किंस ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में डॉ एलएम सिंघवी मेमोरियल लेक्चर दिया

हार्वर्ड लॉ स्कूल में कानून के प्रोफेसर और वाइस डीन डेविड बी. विल्किंस ने कहा है कि आजकल वकीलों के लिए जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है, वो है अधिक डिजिटल और डेटा संचालित दृष्टिकोण अपनाना।

डेविड बी. विल्किंस ने कहा, ”उन्हें ये देखना है कि कितना जोखिम है। दरअसल लोग ग्रोथ को लेकर उत्सुक हैं और प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहते हैं, केवल उस सीमा तक कि प्रौद्योगिकी अधिक डिजिटल दृष्टिकोण पैदा करे। यह संगठनों की सेवा करने वाले वकीलों के लिए जबरदस्त अवसर पैदा करता है। वकीलों को खुद नई तकनीक अपनानी होगी।”

डेविड बी. विल्किंस ने ‘कानूनी पेशे का भविष्य’ विषय पर 9वां डॉ. एलएम सिंघवी मेमोरियल लेक्चर देते हुए कहा, ”ईएसजी, चैटजीपीटी एवं जेन जेड के युग में आपके करियर के लिए इसका क्या मतलब है।”

डिजिटल परिवर्तन स्थितियों को प्रभावित करेगा और संगठनों की पारंपरिक श्रेणियां अधिक धुंधली हो जाएंगी जो पब्लिक, प्राइवेट, ग्लोबल और स्थानीयों के बीच तेजी से जुड़ जाएंगी। हमें कानून और कानूनी ज्ञान को राजनीति, मानविकी, प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र के ज्ञान के साथ मिलाने की जरूरत है, ताकि संगठनों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने में मदद मिल सके।

उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए हमें वकालत के एक नए आदर्श को अपनाना पड़ेगा। करीब एक साल से भी कम समय पहले, किसी ने भी चैटबॉट्स के बारे में नहीं सुना था। अब हर कोई बस इसी के बारे में बात कर रहा है। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अमेरिका में चैटबॉट्स ने बार परीक्षा पास कर ली है। आप एक प्रमाणित वकील बन सकते हैं। यह डरावना है। इसने मेडिकल परीक्षा पास कर ली! यह अनुमान लगाया गया है कि चैटजीपीटी और अन्य उपकरण 300 मिलियन नौकरियों के बराबर की जगह ले सकते हैं, अमेरिका और यूरोप में लगभग एक चौथाई नौकरियां स्वचालित हो सकती हैं!

हालांकि, इसमें आवश्यक प्रकार के कार्यों के लिए सहानुभूति, रचनात्मकता फैसले की कमी हो सकती है। इसलिए, चैटजीपीटी को यह सुनिश्चित करने के लिए मानव पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन की जरूरत हो सकती है कि इसके आउटपुट सटीक, नैतिक और कानून के अनुरूप हैं।

अमेरिका में ऐसी कंपनियां हैं जो वकीलों को मुकदमेबाजी में तैयार करने में मदद करने के लिए अपने खुद के एआई उपकरण बना रही हैं। एक बार विकसित होने के बाद, इसे सॉफ्टवेयर के रूप में, अन्य कानून फर्मों और ग्राहकों को समाधान के रूप में बेचा जाएगा। माइक्रोसॉफ्ट ने पहले ही एक साल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर 12 अरब डॉलर का निवेश किया है। इसलिए, यह कानूनी नौकरियों को प्रतिस्थापित करने जा रहा है। लोगों के लिए नैतिकता, बौद्धिक संपदा, डेटा के स्वामित्व आदि जैसे मुद्दों का पता लगाने के लिए बहुत सारी कानूनी नौकरियां भी पैदा करेगा और यह हमेशा विवादास्पद रहेगा।

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी हर साल डॉ. एलएम सिंघवी की याद में डॉ. एलएम सिंघवी मेमोरियल लेक्चर का आयोजन करता है। डॉ. एलएम सिंघवी ने एक राजनेता, राजनयिक, लेखक और वकील के रूप में समाज के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान कीं। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और संसद सदस्य डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में इस मेमोरियल की स्थापना की थी।

जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी के डीन प्रोफेसर आर. सुदर्शन ने डॉ. एल.एम. सिंघवी को याद करते हुए कहा, ”डॉ. सिंघवी ने भारत के राजनीतिक परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन में बदलने की दिशा में काम किया। उन्होंने लोकपाल बनाने की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण लोकपाल कार्यालय की स्थापना हुई।”

इस अवसर पर ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति डॉ. सी. राज कुमार ने प्रतिष्ठित वक्ता का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “प्रोफेसर डेविड बी. विल्किंस मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से प्रेरणा के ग्रेट सोर्स हैं। उन्होंने जेजीयू में कई व्यक्तियों का मार्गदर्शन किया है और कई प्रमुख लेक्चरर दिए। कानूनी पेशे के भविष्य को आकार देने में एआई और प्रौद्योगिकी के प्रभाव पर चर्चा करने वाले उनके लेक्चर का विषय कानूनी क्षेत्र में सुधारों से संबंधित कई बहसों और चर्चाओं के लिए महत्वपूर्ण है।”

उन्होंने आगे कहा कि प्रोफेसर विल्किंस जेजीयू के दीर्घकालिक समर्थक और दोस्त रहे हैं और वह 2009 में स्थापना के समय भी मौजूद थे। प्रोफेसर विल्किंस एक प्रतिष्ठित विद्वान और एक प्रमुख सार्वजनिक बुद्धिजीवी हैं जिनका कानून के क्षेत्र में काम विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। एक विद्वान के रूप में वह भारत की शक्तियों के प्रति पूरी लगन से प्रतिबद्ध हैं। वह जानते हैं कि 1.5 अरब भारतीयों में से लगभग 1 अरब 35 वर्ष से कम उम्र के हैं और वे न केवल भारत के बल्कि दुनिया के भविष्य को आकार देने में सहायक होंगे।

प्रोफेसर डेविड बी. विल्किंस ने आगे कहा, “कानून लोकतंत्र का केंद्र है, जिसका मतलब है कि पब्लिक हित में विनियमन के बारे में हमेशा समझ बनी रहेगी। नए कानूनों के साथ नए वकील, या कम से कम नई स्किल वाले वकीलों की जरूरत पड़ती है। दुनिया तीन परस्पर संबंधित संकटों से गुजर रही है, जिसमें पब्लिक स्वास्थ्य संकट, आर्थिक और राजनीतिक संकट एवं स्थिरता संकट शामिल है। इन संकटों से उबरने के लिए, हमें कानून को एक सहयोगी अनुशासन के रूप में सोचना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि वैश्वीकरण भारत, ब्राजील और चीन जैसे महत्वपूर्ण स्थानों में कानूनी सेवाओं के लिए बाजार को कैसे नया आकार दे रहा है? आसियान, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड, अफ्रीका, नाइजीरिया, केन्या, रवांडा, दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण उभरती हुई शक्ति है। ये दुनिया की सबसे रोमांचक, सबसे दिलचस्प जगहें होंगी।

इससे पहले कि हम भविष्य की ओर देखें, आइए सोचें कि पिछले 30 वर्षों में दुनिया भर में कितना परिवर्तन हो चुका है, जब लगभग हर क्षेत्राधिकार में और भारत में अधिकांश वकील अकेले प्रैक्टिस करते थे। हमने कानूनी संगठनों के आकार और बनावट में वृद्धि देखी है।

यह सरकारी कानून कार्यालयों, गैर-लाभकारी संस्थाओं और गैर-सरकारी संगठनों का उदय है। कानून की संस्थागत उपस्थिति बढ़ती जाएगी। अब, दुनिया भर में कानूनी पेशे में आने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं।

जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के कार्यकारी डीन और ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. एस.जी. श्रीजीत ने परिचय भाषण दिया और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की एसोसिएट डीन प्रोफेसर डॉ. निशा नायर ने समापन भाषण दिया।

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