महिलाओं की भागीदारी से भारत की विनिर्माण उत्पादन में 9% की वृद्धि संभव: विश्व बैंक रिपोर्ट

विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत के विनिर्माण क्षेत्र में महिला श्रमिकों की अधिक भागीदारी से उत्पादन में 9% की वृद्धि संभव है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दक्षिण एशियाई देशों में, श्रम बल में लैंगिक अंतर को समाप्त करने से होने वाले उत्पादन लाभों का सबसे बड़ा हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र से आएगा, इसके बाद सेवाओं का क्षेत्र होगा।
रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यदि श्रम बल में महिला और पुरुषों के बीच की खाई को कम किया जाए, तो इससे आर्थिक विकास की गति तेज हो सकती है। भारत जैसे देश, जहां अभी भी महिला श्रम शक्ति की भागीदारी कम है, वहां इसका प्रभाव और भी व्यापक हो सकता है। वर्तमान में, भारतीय श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है, जो न केवल आर्थिक असमानता को बढ़ाती है बल्कि देश की आर्थिक क्षमता को भी सीमित करती है।
विश्व बैंक के अध्ययन में पाया गया है कि दक्षिण एशियाई देशों में, खासकर भारत में, विनिर्माण क्षेत्र लैंगिक समानता से सबसे अधिक लाभान्वित होगा। अगर महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं, तो विनिर्माण क्षेत्र में 9% तक की वृद्धि हो सकती है। इसके बाद सेवा क्षेत्र का नंबर आता है, जहां भी लैंगिक अंतर को पाटने से महत्वपूर्ण विकास संभावनाएं हैं।रिपोर्ट के अनुसार, महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बढ़ाने से न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा। इससे घरेलू आय में वृद्धि होगी, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, और गरीबी उन्मूलन में तेजी आएगी।
भारत सरकार भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। सरकार ने हाल के वर्षों में महिलाओं के कौशल विकास और उन्हें कार्यस्थलों में बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ,” “महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना,” और “स्टैंड-अप इंडिया” जैसी योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
हालांकि, महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बढ़ाने के रास्ते में अभी भी कई चुनौतियां हैं। इनमें कार्यस्थलों पर लैंगिक भेदभाव, वेतन असमानता, और सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं प्रमुख हैं। लेकिन रिपोर्ट यह दर्शाती है कि इन चुनौतियों का समाधान करके न केवल महिलाओं के लिए रोजगार के अधिक अवसर सृजित किए जा सकते हैं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर भी बढ़ाई जा सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर महिलाओं को कार्यस्थलों पर समान अवसर प्रदान करते हैं, तो यह न केवल भारत की आर्थिक विकास की कहानी को गति देगा, बल्कि सामाजिक परिवर्तन को भी प्रेरित करेगा।