साइप्रस से नई शुरुआत, वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत दस्तक
जी-7 शिखर सम्मेलन से पहले रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मिलेगी नई गति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज साइप्रस पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की दो दशक बाद की गई पहली आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले वर्ष 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साइप्रस का दौरा किया था। लार्नाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलिडीस ने स्वयं प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा केवल एक औपचारिक कूटनीतिक दौरा नहीं, बल्कि दो देशों के रिश्तों में गर्मजोशी और गहराई जोड़ने का एक अहम कदम है। इस यात्रा का मकसद भारत और साइप्रस के बीच साझेदारी को और मजबूत करना है चाहे वो व्यापार हो, रक्षा सहयोग हो, या फिर सांस्कृतिक जुड़ाव। दोनों देशों के नेता मिलकर इस दिशा में ठोस बातचीत कर रहे हैं। व्यापार, निवेश, आईटी, शिपिंग, ग्रीन एनर्जी जैसे कई अहम क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते तलाशे जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति मिलकर एक संयुक्त व्यापार सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे, जिसमें दोनों देशों के कारोबारी प्रतिनिधि शामिल होंगे।
भारत के लिए साइप्रस सिर्फ एक छोटा यूरोपीय द्वीप देश नहीं है, बल्कि यूरोपीय संघ में प्रवेश का एक अहम दरवाजा बन सकता है। खासकर तब, जब साइप्रस 2026 में EU की अध्यक्षता संभालने जा रहा है। ऐसे में यह यात्रा भारत की यूरोपीय रणनीति का भी एक अहम हिस्सा बन गई है। यह इस बात का भी संकेत है कि भारत अब बड़े देशों के साथ-साथ छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से बेहद अहम साझेदारों से भी रिश्ते गहराने पर ध्यान दे रहा है। यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी की तीन देशों की यात्रा का पहला पड़ाव है।
साइप्रस के बाद वे कनाडा के कनानास्किस शहर में आयोजित हो रहे जी 7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे, जहाँ दुनिया की सबसे प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के नेता एक मंच पर जुटेंगे। इसके बाद 18 जून को प्रधानमंत्री क्रोएशिया रवाना होंगे, जहाँ उनकी यात्रा ऐतिहासिक होगी क्योंकि यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की उस देश की पहली आधिकारिक यात्रा होगी।