भारत और अमेरिका ने 34,500 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे पर किए हस्ताक्षर
भारत और अमेरिका ने भारतीय सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से 34,500 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद और भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा की स्थापना का महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल है। यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूती प्रदान करेगा और भारतीय सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत बनाएगा।समझौते के मुख्य हिस्से के रूप में भारत 31 प्रीडेटर ड्रोन का अधिग्रहण करेगा, जो निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और लंबी दूरी तक लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। ये ड्रोन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और भारतीय वायुसेना, नौसेना और थलसेना की ऑपरेशनल क्षमता में भारी बढ़ोतरी करेंगे।
प्रीडेटर ड्रोन की यह खरीद भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो न केवल सीमाओं पर निगरानी को बढ़ाएगी, बल्कि समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी मददगार साबित होगी। ये ड्रोन उच्च ऊंचाई पर उड़ान भरने और लंबी अवधि तक निगरानी करने में सक्षम होते हैं, जिससे भारत की सुरक्षा प्रणाली और मजबूत होगी।समझौते में एक और महत्वपूर्ण पहलू भारत में एक उन्नत MRO (Maintenance, Repair, and Overhaul) सुविधा की स्थापना है। यह केंद्र भारत में ही प्रीडेटर ड्रोन और अन्य सैन्य उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव का काम करेगा। इस पहल से भारत को अपनी रक्षा प्रणाली में आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी और विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी।
MRO सुविधा से न केवल भारतीय सशस्त्र बलों को फायदा होगा, बल्कि यह भारत के रक्षा उद्योग को भी सशक्त करेगा। इस केंद्र के माध्यम से भारत में नई तकनीकों का आगमन होगा और घरेलू स्तर पर रक्षा उपकरणों की मरम्मत और रखरखाव में तेजी आएगी।यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करता है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग में तेजी आई है, और यह समझौता उसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल भारतीय रक्षा प्रणाली को उन्नत बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय सेना के अधिकारियों ने इस समझौते को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है। उनके अनुसार, प्रीडेटर ड्रोन की क्षमताएं भारत को अपनी सीमाओं पर निगरानी रखने और किसी भी खतरे का समय रहते जवाब देने में सक्षम बनाएंगी। इसके अलावा, समुद्री निगरानी में भी यह ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में, जहां चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखना जरूरी है।