
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। पहली बार 17 महिला कैडेट्स ने 30 मई को पासिंग आउट परेड में हिस्सा लेकर न केवल एनडीए की परंपरा में बदलाव लाया, बल्कि देश की सैन्य सेवा में एक नया मानदंड भी स्थापित किया। खड़गवासला स्थित एनडीए के परेड ग्राउंड पर आयोजित इस भव्य समारोह में महिला कैडेट्स ने पुरुष कैडेट्स के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च किया।
यह पहला मौका था जब एनडीए से प्रशिक्षित महिला कैडेट्स तीन वर्षों की कड़ी ट्रेनिंग पूरी कर सैन्य सेवा के लिए तैयार हुईं। एनडीए की 145वीं कोर्स के इस पासिंग आउट परेड में कुल 370 कैडेट्स ने हिस्सा लिया, जिनमें से 17 महिला कैडेट्स थीं। इस परेड की सलामी मुख्य अतिथि वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, लेफ्टिनेंट जनरल एम. वी. सुचिंद्र कुमार ने ली।
2021 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद महिलाओं को एनडीए में प्रवेश की अनुमति दी गई थी। यह निर्णय महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया। अब इन महिला कैडेट्स की पासिंग आउट परेड इस निर्णय का सजीव और सशक्त उदाहरण बन गई है।
एनडीए में महिला कैडेट्स को पुरुष कैडेट्स के समान ही कठोर शारीरिक, शैक्षणिक और नेतृत्व प्रशिक्षण दिया गया। तीन वर्षों के इस गहन प्रशिक्षण के बाद अब ये कैडेट्स भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना में अधिकारी के रूप में सेवा देने के लिए तैयार हैं।
इन महिला कैडेट्स ने यह साबित कर दिया है कि समर्पण, अनुशासन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। कैडेट शिवांगी, जो इस बैच का हिस्सा थीं, ने कहा, “यह सिर्फ हमारी नहीं, पूरे देश की महिलाओं की जीत है। हमने यह दिखा दिया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।”
एनडीए से महिला कैडेट्स का पास आउट होना केवल सैन्य दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक क्रांतिकारी कदम है। यह देश की बेटियों को यह संदेश देता है कि वे किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं, चाहे वह कितना भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हो।
अब जब पहली बैच एनडीए से पास आउट हो चुकी है, तो आने वाले वर्षों में और भी महिला कैडेट्स इस गौरवशाली संस्थान में दाखिला लेंगी और देश की रक्षा में अपना योगदान देंगी। इससे भारतीय सशस्त्र बलों में लिंग संतुलन स्थापित होगा और एक अधिक समावेशी भविष्य की दिशा में कदम बढ़ेगा।एनडीए की पहली महिला कैडेट्स की पासिंग आउट परेड न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। यह दिन सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।