अभिनेता-आध्यात्मिक नेता ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़ा से इस्तीफा दिया, रिश्वत का आरोप भी लगाया
आधिकारिक वीडियो में दी स्पष्ट घोषणा

मुंबई की जानी-मानी अभिनेत्री और अब आध्यात्मिक नेता ममता कुलकर्णी ने सोमवार को किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर के पद से अपना इस्तीफा दे दिया। एक आधिकारिक वीडियो में कुलकर्णी ने स्पष्ट किया कि वह अब अखाड़े या उसके संचालन से किसी भी तरह का संबंध नहीं रखना चाहतीं। साथ ही, उन्होंने आरोप लगाया कि इस पद के लिए उनसे 2 लाख रुपये का रिश्वत मांगा गया था।
वीडियो में ममता कुलकर्णी ने बताया कि जब उन्होंने इस पद को संभालने का निर्णय लिया था, तब उन्हें रिश्वत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। बाद में, जब यह मामला सामने आया, तो उन्होंने कहा कि ऐसे अनैतिक प्रथाओं को सहन नहीं किया जा सकता। कुलकर्णी ने जोर देकर कहा, “मैं अब किसी भी प्रकार की अनियमितता और रिश्वत की मांग का हिस्सा नहीं बनना चाहती।” उनका यह बयान अखाड़े के पारंपरिक सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश है।
किन्नर अखाड़ा एक पारंपरिक और प्रतिष्ठित संस्थान रहा है, जिसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त है। हाल के वर्षों में, इसमें अनियमितताओं और रिश्वत के आरोप लगते रहे हैं। ममता कुलकर्णी का इस्तीफा इस बात का प्रमाण है कि अखाड़े के भीतर चल रही कुछ प्रथाएँ नैतिकता और पारदर्शिता से भटक गई हैं। उनके इस कदम ने अखाड़े के संचालन में सुधार की आवश्यकता को उजागर कर दिया है।
कुलकर्णी के इस साहसिक फैसले पर उनके समर्थकों ने भी उत्साह व्यक्त किया है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के कदम से अखाड़े में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है। वहीं, आलोचकों का कहना है कि यदि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो अखाड़े में भविष्य में इसी प्रकार की घटनाएँ दोहराई जा सकती हैं।
कुलकर्णी के इस्तीफे के बाद, संबंधित अधिकारियों और अखाड़े के वरिष्ठ सदस्यों से इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि इस घटना की जांच शुरू की जाएगी और अखाड़े में नैतिकता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। कुलकर्णी ने अपने बयान में संकेत दिया कि वह अपने आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ेंगी, लेकिन इस प्रकार की अनियमितताओं के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रहेंगी।
ममता कुलकर्णी का इस्तीफा और 2 लाख रुपये के रिश्वत का आरोप अखाड़े के संचालन में सुधार की आवश्यकता का प्रतीक है। यह कदम न केवल कुलकर्णी की व्यक्तिगत नैतिकता का परिचायक है, बल्कि समाज में पारदर्शिता और ईमानदारी के मूल्यों को भी बल प्रदान करता है। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच और आवश्यक कार्रवाई से उम्मीद जताई जा रही है कि किन्नर अखाड़ा में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे, जिससे पारंपरिक संस्थानों में नैतिकता और विश्वास को पुनर्स्थापित किया जा सके।