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अमेरिकी अदालत ने ट्रंप प्रशासन के फैसले पर लगाई अस्थाई रोक, हार्वर्ड विश्वविद्यालय को राहत

शिक्षा जगत में हलचल

अमेरिका की एक संघीय अदालत ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने की क्षमता को रद्द करने के ट्रंप प्रशासन के फैसले पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है। अदालत का यह आदेश दो हफ्ते के लिए प्रभावी रहेगा और इस बीच कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।

ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर यह आरोप लगाया था कि वह “हिंसा, यहूदी विरोध और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के साथ काम करने” को बढ़ावा दे रहा है। यह आरोप होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने लगाए थे। इसके बाद प्रशासन ने हार्वर्ड की अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने की क्षमता को रद्द करने का फैसला लिया था, जिससे विश्वविद्यालय के 7,000 से अधिक विदेशी छात्रों को अमेरिका छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता।

इस फैसले के खिलाफ हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने अदालत में याचिका दायर की। विश्वविद्यालय ने अपने तर्क में कहा कि यह फैसला प्रशासन की तरफ से असंवैधानिक बदला लेने की कार्रवाई है। हार्वर्ड ने अदालत को बताया कि यह कदम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है और शैक्षिक स्वतंत्रता का हनन करता है।

अमेरिकी संघीय अदालत ने हार्वर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को फिलहाल के लिए अस्थाई रूप से रोक दिया। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय तक छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, “हार्वर्ड को अरबों डॉलर दिए गए हैं। कितना हास्यास्पद है यह?” ट्रंप ने विश्वविद्यालय को चेतावनी भी दी कि वह “अपनी नीतियों को बदले।”

अंतरराष्ट्रीय छात्रों और शैक्षिक विशेषज्ञों ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। छात्रों का कहना है कि यह कदम उनके लिए राहत लेकर आया है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने भी अपने बयान में कहा, “हम अदालत के आदेश का स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अंतिम फैसले में भी न्याय मिलेगा।”

हालांकि, यह आदेश दो हफ्ते के लिए है और इस दौरान ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के बीच कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में कई संवैधानिक और कानूनी पहलुओं की गहराई से जांच की जाएगी।यह मामला अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था में राजनीतिक हस्तक्षेप के गंभीर सवाल खड़े करता है। हार्वर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के खिलाफ इस तरह के फैसले पर अमेरिका और दुनिया भर में बहस छिड़ गई है।

फिलहाल अदालत के आदेश ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और उसके अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अस्थाई राहत दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस कानूनी लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है और इसका अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर पड़ता है।

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