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राहुल गांधी का तंज: पीएम मोदी में भूलने की बीमारी के लक्षण

कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि वह अब भूलने की बीमारी के लक्षण दिखा रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति की तुलना अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से की, जो अक्सर अपनी बयानबाजी और गलतियों के कारण सुर्खियों में रहते हैं।

राहुल गांधी ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब प्रधानमंत्री मोदी ने एक सभा में कुछ ऐसी बातें कहीं, जिन्हें लेकर सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज हो गईं। राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार के अधीन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जा रहा है और प्रधानमंत्री खुद भी अपनी बातों को भूलने लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की स्थिति में प्रधानमंत्री को अपनी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है, खासकर तब जब देश एक कठिन दौर से गुजर रहा हो।

राहुल गांधी के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री मोदी की बढ़ती उम्र और उनके राजनीतिक करियर से जोड़कर देखा। हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे राहुल गांधी का एक और ‘बयानबाजी’ कदम बताया, जो कभी न कभी मोदी सरकार के खिलाफ होती रहती है।

इस बयान से पहले भी राहुल गांधी ने कई बार प्रधानमंत्री मोदी पर उनके कार्यकाल के दौरान किए गए वादों का विरोध किया था और लोगों से अपील की थी कि वे मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाएं। उनके इस बयान के बाद बीजेपी ने इसे राजनीति का हिस्सा बताते हुए राहुल गांधी के बयान को ‘नकारात्मक’ करार दिया। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह कांग्रेस का एक और प्रयास है जो प्रधानमंत्री मोदी की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

राहुल गांधी का यह बयान उस समय आया है जब प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में कुछ गिरावट देखी जा रही है, खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों के नजदीक आने के साथ। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह बयान राहुल गांधी की अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य आगामी चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी की छवि को कमजोर करना हो सकता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक इस बयान को नजरअंदाज कर रहे हैं और उनका कहना है कि मोदी ने हमेशा देश की भलाई के लिए काम किया है और आगे भी करेंगे। वे इसे राहुल गांधी का एक और व्यर्थ बयान मानते हैं, जो केवल चुनावी माहौल को गर्म करने के लिए किया गया है।

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