
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से नाता तोड़ लिया है। पार्टी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को एनडीए में लगातार अनदेखी और अन्याय का सामना करना पड़ा, खासतौर पर इसलिए क्योंकि यह एक दलित पार्टी है।
पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “मैं 2014 से एनडीए के साथ हूं। लेकिन आज मैं यह घोषणा करता हूं कि अब मेरी पार्टी का एनडीए से कोई लेना-देना नहीं रहेगा।”
उन्होंने बताया कि बिहार में भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेताओं की बैठकों में उनकी पार्टी को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया। पारस ने आरोप लगाया कि बिहार में भाजपा और जेडीयू के प्रदेश अध्यक्षों की तरफ से उनकी पार्टी को कोई सम्मान नहीं मिला, न ही उनकी पार्टी का एनडीए में कहीं ज़िक्र किया गया।
उन्होंने कहा, “हमने हमेशा एनडीए का समर्थन किया, लेकिन हमारी निष्ठा का कभी सम्मान नहीं हुआ। हमें हमारी हैसियत के मुताबिक जगह नहीं दी गई।”
पारस ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी दलितों के अधिकारों और सम्मान की लड़ाई लड़ती रही है, लेकिन एनडीए में उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया। उन्होंने दावा किया कि बार-बार अनुरोध के बावजूद एनडीए नेतृत्व ने उनकी पार्टी की उपेक्षा की।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह फैसला बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। RLJP के इस कदम से NDA को दलित वोट बैंक के लिहाज से नुकसान हो सकता है।
गौरतलब है कि पशुपति कुमार पारस लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान के भाई हैं। रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में फूट पड़ी थी, जिसके बाद चिराग पासवान और पशुपति पारस ने अलग-अलग गुट बना लिए थे।