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सीटीआई ने भारतीय सरकार से आयकर का नाम बदलने की अपील की, “राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि” रखने का सुझाव

करदाताओं के बीच सकारात्मक भावना उत्पन्न करने का उद्देश्य

चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने भारतीय सरकार से आयकर (Income Tax) का नाम बदलने की अपील की है। सीटीआई ने सुझाव दिया है कि आयकर का नाम बदलकर “राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि” रखा जाए। संगठन का मानना है कि इस नाम से करदाताओं के बीच सकारात्मक भावना उत्पन्न होगी और वे देश के विकास में अधिक योगदान देने के लिए प्रेरित होंगे।

सीटीआई के अध्यक्ष ब्रिजेश गोयल ने कहा कि आयकर का मौजूदा नाम करदाताओं को एक बोझ का एहसास कराता है। यदि इसे “राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि” नाम दिया जाता है, तो लोगों में यह भावना विकसित होगी कि उनके द्वारा दिए गए कर सीधे तौर पर देश के निर्माण और विकास में इस्तेमाल हो रहे हैं। यह बदलाव न केवल करदाताओं की मानसिकता में सुधार करेगा, बल्कि अधिक लोग स्वेच्छा से कर जमा करने के लिए प्रेरित होंगे।

सीटीआई का कहना है कि देश में करदाताओं की संख्या को बढ़ाने और कर संग्रह को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सरकार को लोगों को जागरूक करना चाहिए। संगठन का मानना है कि करदाताओं को यह महसूस होना चाहिए कि वे राष्ट्र निर्माण में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।ब्रिजेश गोयल ने यह भी कहा कि नाम परिवर्तन करदाताओं में गर्व की भावना पैदा करेगा। “राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि” जैसे नाम से उन्हें यह महसूस होगा कि उनके पैसे का सही उपयोग हो रहा है। इसके जरिए सरकार और करदाताओं के बीच भरोसे का रिश्ता मजबूत होगा।

सीटीआई का मानना है कि इस बदलाव से भारत में आयकर संग्रह में बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। वर्तमान में भारत की बड़ी आबादी टैक्स नेटवर्क से बाहर है। इस तरह की पहल न केवल कर संग्रह को बढ़ाएगी, बल्कि कर न चुकाने वालों को भी सिस्टम में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगी।संगठन ने कहा कि करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे के विकास, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा में किया जाता है। नाम बदलने से यह संदेश करदाताओं तक पहुंचाने में मदद मिलेगी कि उनका योगदान देश के विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

सीटीआई का यह सुझाव सरकार और करदाताओं के बीच सकारात्मक संवाद को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। “आयकर” का नाम बदलकर “राष्ट्र निर्माण सहयोग निधि” रखने से करदाताओं में नई ऊर्जा का संचार हो सकता है। यह कदम न केवल कर संग्रह में सुधार करेगा, बल्कि भारतीय कर प्रणाली को एक नया दृष्टिकोण भी देगा। अब यह देखना होगा कि सरकार इस सुझाव पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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