
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के सारुसजाई स्टेडियम में आयोजित ‘झूमर बिनंदिनी’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया और पारंपरिक ढोल बजाकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपनी यात्रा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिसमें वह पारंपरिक ढोल बजाते हुए नजर आ रहे हैं।
असम सरकार ने इस कार्यक्रम का आयोजन असम चाय उद्योग के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किया। यह एक भव्य सांस्कृतिक आयोजन रहा, जिसमें 8600 कलाकारों ने भाग लिया। ये सभी कलाकार असम के विभिन्न चाय बागानों से आए थे और उन्होंने पारंपरिक झूमर नृत्य प्रस्तुत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कार्यक्रम की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “असम की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा बनना और चाय बागान क्षेत्रों से आए कलाकारों के साथ झूमर नृत्य का आनंद लेना एक अविस्मरणीय अनुभव है।”
‘झूमर बिनंदिनी’ कार्यक्रम असम की लोक संस्कृति और चाय बागान मजदूरों की परंपरा को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया। झूमर नृत्य असम के चाय बागान समुदायों की पहचान है और यह आयोजन उनकी कला और संस्कृति को वैश्विक मंच पर लाने का प्रयास है।
असम सरकार ने इस कार्यक्रम को एक विशेष सांस्कृतिक समारोह के रूप में आयोजित किया, जिसमें राज्यभर के चाय बागान क्षेत्रों से कलाकारों को बुलाया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “यह आयोजन असम के चाय बागान समुदायों के योगदान को सम्मान देने का एक प्रयास है।”
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने असम के लोगों को बधाई देते हुए कहा, “असम की चाय ने न केवल देश बल्कि दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। यहां के चाय बागान मजदूरों की मेहनत और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देना हम सभी का कर्तव्य है।”इस आयोजन के माध्यम से असम की समृद्ध संस्कृति, लोक कला और परंपराओं को संरक्षित करने का संदेश दिया गया। झूमर नृत्य और असम की चाय के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने के लिए यह आयोजन बेहद महत्वपूर्ण रहा।