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आतंक के खिलाफ सख्त रुख: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा – आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा

पाकिस्तान पर बढ़ रहा दबाव

पहुंडगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ देश के सख्त और निर्णायक रवैये को दोहराया। उन्होंने आतंकवाद को “मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा” करार देते हुए कहा कि भारत इस चुनौती से निपटने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह बयान नई दिल्ली में अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लौरेन्सो के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिया। अंगोला के राष्ट्रपति इन दिनों भारत की चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर हैं।

प्रेस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अंगोला के राष्ट्रपति का धन्यवाद करते हुए कहा, “22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई। हम उन परिवारों के साथ खड़े हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। मैं राष्ट्रपति लौरेन्सो का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने इस दुखद घटना पर संवेदना व्यक्त की।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमला पाकिस्तान-आधारित आतंकियों द्वारा किया गया था, जो भारत की शांति और एकता को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत और अंगोला दोनों आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक साथ खड़े हैं। यह केवल किसी एक देश की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए खतरा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत आतंक के खिलाफ बिना किसी समझौते के कड़ी कार्रवाई करेगा।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और अंगोला के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक मजबूत करने पर चर्चा की। आतंकवाद के अलावा दोनों देशों ने ऊर्जा, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री के इस सख्त बयान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ बढ़ते कूटनीतिक दबाव के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत लगातार दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एकजुटता जरूरी है, खासकर उन देशों के खिलाफ जो आतंकियों को पनाह और समर्थन देते हैं।

पहुंडगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर भारत को गहरा आघात दिया है। प्रधानमंत्री मोदी का स्पष्ट और सख्त संदेश यह दर्शाता है कि भारत अब आतंकवाद को केवल सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि एक वैश्विक मानवाधिकार संकट के रूप में देख रहा है और इसके समाधान के लिए वह हर स्तर पर प्रयासरत है।

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