IIT रुड़की ने तोड़ा तुर्की की इनोनू यूनिवर्सिटी से करार, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को बताया कारण
अनुसंधान सहयोग और छात्र-विनिमय कार्यक्रम पर लगा विराम

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की ने तुर्की की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ अपने मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है। यह करार शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्र में सहयोग के उद्देश्य से किया गया था, जिसमें छात्र और संकाय विनिमय कार्यक्रम जैसी व्यवस्थाएं शामिल थीं।
इस करार के तहत दोनों संस्थानों के बीच अनुसंधान सहयोग, अकादमिक आदान-प्रदान, और छात्रों तथा शिक्षकों के लिए आदान-प्रदान कार्यक्रम की संभावनाएं थीं। लेकिन अब IIT रुड़की ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि यह समझौता समाप्त किया जा चुका है और भविष्य में इस दिशा में कोई साझेदारी नहीं होगी।
IIT रुड़की ने एक सार्वजनिक बयान जारी कर कहा,
“संस्थान की वैश्विक साझेदारियों की दिशा अब भारत की अकादमिक रणनीति और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप तय की जाएगी। हमारी अंतरराष्ट्रीय नीतियां देश के हितों और शिक्षा क्षेत्र की जरूरतों से मेल खाती रहेंगी।”इस बयान से स्पष्ट है कि केंद्र सरकार की विदेश नीति और शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए ही संस्थान अपनी वैश्विक रणनीति को आगे बढ़ाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल के समय में भारत और तुर्की के बीच राजनीतिक संबंधों में आई दूरी का असर शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोगों पर भी पड़ने लगा है। कई बार तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ बयान दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तल्खी देखी गई है।
IIT रुड़की का यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि भारत के शीर्ष शैक्षणिक संस्थान अब केवल अकादमिक गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि राष्ट्रहित को भी ध्यान में रखकर अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग तय कर रहे हैं।
संस्थान की यह नीति केंद्र सरकार की “राष्ट्रीय शिक्षा नीति” और “मेक इन इंडिया”, “वोकल फॉर लोकल” जैसे अभियानों से भी मेल खाती है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम माना जा सकता है।IIT रुड़की ने यह भी संकेत दिया है कि वह भविष्य में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर सतर्क रहेगा और केवल उन्हीं संस्थानों से समझौते करेगा जो भारत के रणनीतिक और शैक्षणिक हितों के अनुरूप होंगे।