अंतरराष्ट्रीयओपिनियनराष्ट्रीयसंपादकीय

थरूर पर तकरार – कांग्रेस का हाथ, कब तक थरूर के साथ..

दरसल ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने एक फैसला लिया। और फैसला यह कि दुनिया के अलग-अलग देशों में एक सर्वदलीय टीम भेजी जाएगी जिसमें अलग-अलग पार्टियों के सांसद शामिल होंगे। कुल मिलाकर 7 टीमें भेजने का निर्याण लिया गया और जिन 6 लोगों को इन टीमों के नेतृत्व के लिए चुना गया उनके नाम हैं -शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, वैजयंत पांडा, संजय झा, कनिमोझी, सुप्रिया सुले और श्रीकांत सिंधे.

ये तमाम टीमें दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जाकर, वहां भारत सरकार का पक्ष रखेंगी और साथ ही दुनिया को बताएंगी कि किस प्रकार पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंक को बढ़ावा देने में कर रहा है.

कुल मिलाकर लगभग 60 सांसद, पूर्व सांसद और एंबेसडर इस डेलिगेशन में शामिल होंगे….. डेलिगेशन में शामिल होने वाले कुछ अन्य नाम हैं – असदुद्दीन ओवैसी, बांसुरी स्वराज, अनुराग ठाकुर, प्रियंका चतुर्वेदी, गुलाम नबी आज़ाद और मनीष तिवारी के साथ संयुक्त राष्ट्र मे भारत के पूर्व प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन भी शामिल हैं.

अभी तक तो सब सही चल रहा था, लेकिन अचानक इस मुद्दे पर भी राजनीति हावी हो गई और अनचाहा  विवाद पैदा हो गया। दरसल सरकार ने पॉलिटिकल पार्टियों से डेलिगेशन में भेजने के लिए कुछ नाम मांगे थे और इसी क्रम में कांग्रेस ने जिन चार नामों का प्रस्ताव भेजा था सरकार ने उनको नजरअंदाज कर दिया। हालांकि अब खबर है कि शायद कांग्रेस द्वारा भेजे गए 4 नामों में से एक आनंद शर्मा को अब सरकार ने डेलिगेशन में शामिल कर लिया है.

हाल में इस मसले पर कांग्रेस की परेशानी का कारण हैं शशि थरूर…. शशि थरूर फिलहाल कांग्रेस के सांसद हैं और लगातार चौथी बार संसद पहुंचे हैं असल में सरकार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा नाम ना भेजे जाने पर भी शशि थरूर को डेलिगेशन में शामिल कर लिया और इतना ही नहीं उन्हीं के नेतृत्व में ही एक टीम अमेरिका जाकर वहां भारत सरकार का पक्ष रखेंगी।  शशि थरूर विदेश मामलों के एक्सपर्ट हैं…. विदेश सेवा में काफी लंबा अनुभव रखते हैं…. वर्षों संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे हैं…. और UPA सरकार में विदेश विभाग के मंत्री भी इस लिहाज से देखा जाए तो शशि थरूर इस डेलिगेशन के लिए उपयुक्त हैं और उनका नाम इस लिस्ट में स्वाभाविक तौर पर होना चाहिए था.

तो जब शशि थरूर इस मामले में क्वालीफाइड हैं तो फिर प्रॉब्लम कहां है..??  दअरसल प्रॉब्लम हैं शशी थरूर के क्लेरिटी ऑफ thoughts  में जो शायद उनकी पार्टी को पसंद नहीं आती। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस क्लेरिटी से शशि थरूर सरकार के साथ खड़े रहे वो शायद कांग्रेस आला कमान को पसंद नहीं आया। शशि थरूर के बीजेपी में जाने की अटकलबाजी से सोशल मीडिया कई बार उफान मारता भी देखा गया इसके अलावा शशि थरूर उस जी- 23 ग्रुप का हिस्सा भी रहे हैं जो कांग्रेस हाई कमांड से असहमति जाता चुका है और इतना ही नहीं शशि थरूर मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुके हैं और थरूर कुछ दिन पहले केरल में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच भी साझा करते देखे गए.

इधर हाल ही में जयराम रमेश शशि थरूर पर तंज कसते हुए दिखाई दिए, सोशल मीडिया पोस्ट में जयराम रमेश लिखते हैं ‘कांग्रेस में होने ओर कांग्रेस का होने में अंतर है’

बहरहाल शशि थरूर ने साफ कर दिया कि वो इस डेलिगेशन में जरूर शामिल होंगे और देश के लिए जब-जब उनकी सेवा की आवश्यकता होगी वो पार्टी लाइन से ऊपर उठकर अपनी सेवाएं देने के लिए उपलब्ध रहेंगे। अब देखना यह हैं कि कांग्रेस थरूर के इस कदम पर क्या रुख अपनाती है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button