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आंध्र प्रदेश सरकार की अनोखी पहल: ग्रामीणों से संवाद के लिए सार्वजनिक थिएटरों का उपयोग, “माता-मंथी” कार्यक्रम शुरू

थिएटर बना सरकार और जनता के बीच पुल

आंध्र प्रदेश सरकार ने ग्रामीण जनता से सीधे संवाद स्थापित करने और उनकी समस्याएं सुनने के उद्देश्य से एक पहली बार की गई अनोखी पहल की शुरुआत की है। राज्य के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा शुरू किया गया यह विशेष आउटरीच कार्यक्रम “माता-मंथी” अब गांवों में सार्वजनिक थिएटरों के माध्यम से लोगों से जुड़ने का माध्यम बन रहा है।

“माता-मंथी” का शाब्दिक अर्थ है संवाद और मंथन। इस कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा गांव-गांव में जाकर सार्वजनिक थिएटरों में विशेष सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जहां अधिकारी, ग्राम पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण एकत्र होकर विकास योजनाओं पर चर्चा करते हैं और जनता की समस्याएं सीधी सरकार तक पहुंचती हैं।

सार्वजनिक थिएटर, जो पहले केवल फिल्मों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किए जाते थे, अब जन संवाद का केंद्र बन चुके हैं। यहां गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्र होते हैं और उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी देने के साथ-साथ, उनके मुद्दों और शिकायतों को भी सुना जा रहा है।

एक ग्रामीण महिला ने कार्यक्रम में भाग लेने के बाद कहा,
“पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार के लोग हमारे गांव आए और हमसे पूछा कि हमें किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।”

राज्य के पंचायत राज और ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल शिकायतें सुनना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि हर गांव की भागीदारी विकास प्रक्रिया में हो। इसके साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जो भी समस्याएं सामने आएं, उनका निवारण स्थानीय स्तर पर प्राथमिकता से किया जाए।

उन्होंने कहा,
“ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सिर्फ योजनाएं बनाना ही काफी नहीं है, हमें वहां जाकर, लोगों से बात कर, उनकी ज़रूरतों को समझना होगा। ‘माता-मंथी’ इसी सोच का परिणाम है।”

कार्यक्रम के दौरान ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियों के माध्यम से सरकार की योजनाएं जैसे मनरेगा, जल संरक्षण, स्वच्छ भारत अभियान, महिला सशक्तिकरण, और किसान कल्याण योजनाओं की जानकारी दी जाती है। साथ ही, लाइव प्रश्नोत्तर सत्र में ग्रामीण अपनी समस्याएं सीधे अधिकारियों के सामने रखते हैं।

कार्यक्रम को अभी तक राज्य के कई जिलों में लागू किया जा चुका है और अब तक हजारों ग्रामीणों ने इसमें भाग लिया है। प्रारंभिक फीडबैक बेहद सकारात्मक रहा है, और लोगों ने सरकार की इस पहल की सराहना की है।

सरकार की योजना है कि आने वाले महीनों में हर ब्लॉक और पंचायत स्तर पर “माता-मंथी” कार्यक्रम को लागू किया जाए। इसके लिए विशेष प्रशिक्षित दल बनाए जा रहे हैं जो थिएटरों में संवाद सत्र का संचालन करेंगे और डिजिटल रिकॉर्डिंग के माध्यम से फीडबैक को संकलित कर सरकार तक पहुंचाएंगे।

“माता-मंथी” एक ऐसा अभिनव प्रयास है जो सरकार और जनता के बीच की दूरी को घटाकर विकास प्रक्रिया को अधिक समावेशी और प्रभावी बना सकता है। आंध्र प्रदेश सरकार की यह पहल न केवल राज्य के लिए बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है, जहां जमीनी स्तर पर लोगों की भागीदारी और संवाद को प्राथमिकता दी जाए।

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