पोप फ्रांसिस के निधन के बाद शोक में डूबी कैथोलिक चर्च, नए धर्मगुरु के चयन की प्रक्रिया पर टिकी निगाहें
नए पोप के चयन की प्रक्रिया

कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके नेतृत्व में चर्च ने बीते वर्षों में कई सामाजिक, धार्मिक और वैश्विक मुद्दों पर अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। अब उनके निधन के बाद चर्च एक आधिकारिक शोक अवधि में प्रवेश कर चुका है, और दुनिया भर की निगाहें अब इस ओर टिकी हैं कि अगला पोप कौन होगा।
पोप फ्रांसिस का निधन एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। वे न केवल एक आध्यात्मिक नेता थे, बल्कि एक समावेशी और करुणाशील व्यक्तित्व के धनी थे। उनके कार्यकाल में चर्च ने पर्यावरण, प्रवासी संकट, आर्थिक विषमता, LGBTQ+ अधिकार और अन्य सामाजिक मुद्दों पर खुलकर अपने विचार रखे। दुनियाभर के नेता, धर्मगुरु और करोड़ों श्रद्धालु उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
पोप के निधन के बाद वेटिकन में “सेडे वेकांते” (Sede Vacante) घोषित किया गया है, जिसका अर्थ है कि पोप की गद्दी अब रिक्त है। अब कैथोलिक चर्च की सबसे पुरानी और पारंपरिक प्रक्रिया, कॉन्क्लेव (Conclave) के माध्यम से नए पोप का चयन होगा।
कॉन्क्लेव में कार्डिनल्स का एक समूह शामिल होता है, जिनकी संख्या 120 से अधिक नहीं होती। ये कार्डिनल्स वेटिकन के सिस्टीन चैपल में बंद कमरे में बैठकर गुप्त मतदान के ज़रिए नए पोप का चुनाव करते हैं। जब किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत मिल जाता है, तब उसे अगला पोप घोषित किया जाता है।
पोप फ्रांसिस के बाद अगला पोप कौन होगा, इसे लेकर अटकलें शुरू हो चुकी हैं। चर्च के अंदर कई प्रभावशाली कार्डिनल्स हैं, जिनके नाम चर्चा में हैं। इनमें कार्डिनल पीटर टर्कसन (घाना), कार्डिनल लुइस एंटोनियो तागले (फिलीपींस), कार्डिनल मैरियो ग्रेच (माल्टा) जैसे नाम सामने आ रहे हैं। अगर इनमें से कोई पोप बनता है, तो यह चर्च के विविधता और वैश्विक प्रतिनिधित्व की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा।
नए पोप को न केवल धार्मिक नेतृत्व निभाना होगा, बल्कि एक तेज़ी से बदलती दुनिया में चर्च की भूमिका को भी फिर से परिभाषित करना होगा। युवाओं से जुड़ाव, यौन शोषण जैसे मामलों से निपटना, और आधुनिक मुद्दों पर चर्च की सोच को समकालीन बनाना—ये सब अगली नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होंगे।