किंग चार्ल्स III का कनाडा दौरा: 45वीं संसद का उद्घाटन, अमेरिका को दिया सख्त संदेश
कनाडा की संसद में ऐतिहासिक क्षण

ब्रिटेन के राजा चार्ल्स III ने कनाडा की राजधानी ओटावा में ऐतिहासिक यात्रा के तहत 45वीं संसद का उद्घाटन किया। वे ऐसा करने वाले केवल दूसरे सम्राट हैं, इससे पहले 1977 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। राजा चार्ल्स की इस दो दिवसीय यात्रा को न केवल ऐतिहासिक बल्कि बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह कनाडा की संप्रभुता और ब्रिटेन के समर्थन का एक स्पष्ट संदेश है।
राजा चार्ल्स III ने संसद भवन में हुए विशेष समारोह में 45वीं संसद का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कनाडा की जनता और संसद के प्रति अपनी निष्ठा और सम्मान व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “कनाडा और ब्रिटेन के रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। आज हम एक बार फिर साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और सहयोग की भावना को मजबूत करने के लिए एकजुट हैं।”
यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में विवादित बयान देकर कहा था कि कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बना दिया जाना चाहिए। इस पृष्ठभूमि में राजा चार्ल्स की यह यात्रा कनाडा की संप्रभुता के प्रति न केवल ब्रिटेन की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है बल्कि अमेरिका को एक सख्त संदेश भी देती है कि कनाडा की आजादी और पहचान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
राजा चार्ल्स III ने अपने भाषण में ब्रिटेन और कनाडा के गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “कनाडा और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक रिश्ते सिर्फ शाही प्रतीक नहीं हैं, बल्कि साझा सपनों, आदर्शों और मानवीय गरिमा के प्रतीक हैं।”
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने राजा चार्ल्स का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि उनकी यह यात्रा कनाडा और ब्रिटेन के रिश्तों में नई ऊर्जा और स्थायित्व लाएगी।राजा चार्ल्स III की यात्रा को लेकर ओटावा की सड़कों पर उत्सव का माहौल था। हजारों लोग सड़कों पर जुटे और ब्रिटिश ध्वज लहराते हुए राजा का स्वागत किया। बच्चों और युवाओं ने खासतौर पर इस यात्रा को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखाया।
राजा चार्ल्स ने अपने संबोधन में कनाडा की नई संसद से अपील की कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाएं। “हमारे समय की चुनौतियों के सामने हमें एकजुट रहकर आगे बढ़ना होगा, तभी हम अपने नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा कर सकेंगे,” उन्होंने कहा।
राजा चार्ल्स III की इस यात्रा ने एक बार फिर कनाडा की स्वतंत्र पहचान और उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को दुनिया के सामने रखा। यह यात्रा न केवल ऐतिहासिक महत्व की है, बल्कि आने वाले समय में कनाडा-ब्रिटेन रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने में अहम साबित होगी।