विश्व बैंक की नई गरीबी रेखा के मानक में भारत की भूमिका अहम, देश में गरीबी दर घटी 5.25% तक
भारत में गरीबी दर में गिरावट

भारत ने वैश्विक गरीबी में आई तेज़ वृद्धि के असर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह बात विश्व बैंक द्वारा अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (International Poverty Line – IPL) के नए मानकों के ऐलान के बाद सामने आई है। नई पद्धति के अनुसार भारत की गरीबी दर वर्ष 2022-23 में घटकर 5.25 प्रतिशत रह गई है।
सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि यह उपलब्धि भारत के अद्यतन उपभोग आंकड़ों (updated consumption data) और उन्नत सर्वेक्षण पद्धति (improved survey methodology) के कारण संभव हो सकी है, जिससे न केवल देश के भीतर गरीबी के आँकड़े सटीक हुए बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गरीबी में भारी वृद्धि को संतुलित किया जा सका।
विश्व बैंक ने हाल ही में गरीबी की गणना के लिए उपयोग की जाने वाली अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा में संशोधन किया है। नए मानकों के अनुसार अब गरीबी रेखा को इस प्रकार परिभाषित किया गया है जो विश्व भर में महंगाई और उपभोग के बदलते स्वरूप को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करता है।
इस संशोधन से जहां कई देशों में गरीबी के आंकड़े बढ़े हैं, वहीं भारत ने अपने सटीक और अद्यतन आंकड़ों के कारण इस प्रभाव को कम करने में सहायता की। रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत के आंकड़ों में सुधार नहीं किया गया होता, तो वैश्विक गरीबी में यह वृद्धि कहीं अधिक होती।
विश्व बैंक द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में गरीबी दर अब मात्र 5.25% है, जो दर्शाता है कि देश ने हाल के वर्षों में सामाजिक कल्याण, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT), ग्रामीण रोजगार योजना, और खाद्य सुरक्षा जैसी योजनाओं के माध्यम से निर्धनता कम करने में वास्तविक प्रगति की है।
सरकारी बयान में कहा गया, “भारत की उन्नत उपभोग सर्वेक्षण पद्धति और व्यापक आर्थिक सुधारों ने यह सुनिश्चित किया है कि गरीबों तक योजनाओं का लाभ सटीकता और पारदर्शिता से पहुँचे।”
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, नए IPL मानकों के कारण विश्व स्तर पर कुल 125 मिलियन लोगों की गरीबी में वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि यह संख्या बहुत अधिक है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने इस संख्या को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है।विश्व बैंक के एक अधिकारी ने कहा, “अगर भारत के सटीक आंकड़े और प्रभावशाली सामाजिक कल्याण योजनाएं न होतीं, तो वैश्विक गरीबी में यह वृद्धि कहीं अधिक होती।”
भारत ने न केवल अपनी घरेलू गरीबी दर को घटाया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गरीबी में वृद्धि के प्रभाव को कम करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों, योजनाओं की प्रभावशीलता, और डेटा आधारित प्रशासन की दिशा में उठाए गए कदमों की पुष्टि करती है।