
भोपाल के ऐशबाग इलाके में बना एक नया रेल ओवरब्रिज इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है – वजह है उसका बेहद अजीब 90 डिग्री का मोड़, जिसे देखकर लोग हैरान हैं और सोशल मीडिया पर इसकी काफी आलोचना हो रही है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने त्वरित और सख्त कार्रवाई की है।
करीब 18 करोड़ रुपये की लागत से बना यह ओवरब्रिज महामाई का बाग, पुष्पा नगर और स्टेशन इलाके को जोड़ने वाला एक अहम प्रोजेक्ट था। इसका मकसद ट्रैफिक को सुचारू बनाना था, लेकिन उल्टा, इसका डिज़ाइन ही अब लोगों के लिए मुसीबत बन गया। सड़क के बीच ऐसा तीखा मोड़ बना दिया गया है कि वहां वाहन मोड़ना जोखिम भरा हो गया है। लोग कह रहे हैं कि ऐसा लग रहा जैसे किसी ने बिना सोचे‑समझे लाइन खींच दी हो। मुख्यमंत्री ने पूरे मामले में लापरवाही की जिम्मेदारी तय करते हुए PWD के 7 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया है और एक रिटायर्ड अफसर पर भी विभागीय जांच बैठा दी है। साथ ही, इस ब्रिज का डिजाइन बनाने वाली प्राइवेट एजेंसी को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया है।
सरकार ने अब एक तकनीकी समिति बना दी है, जो इस ब्रिज के डिज़ाइन और सुरक्षा से जुड़ी खामियों की जांच करेगी और सुधार की सिफारिशें देगी। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि जब तक सुधार नहीं होते, तब तक इस ब्रिज का उद्घाटन नहीं होगा। इंजीनियरों की ओर से यह दलील दी गई कि साइट की सीमाओं और पास में बन रही मेट्रो लाइन के चलते ऐसा डिज़ाइन बनाना पड़ा, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि क्या इतनी बड़ी गलती की कोई जांच पहले नहीं की गई?
इस घटनाक्रम से एक बात तो साफ है – सरकार अब निर्माण कार्यों में लापरवाही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने वाली है। जनता की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देना ज़रूरी है, और भोपाल के इस ब्रिज विवाद ने एक बार फिर सिस्टम को सतर्क रहने का संकेत दे दिया है।