
ठाणे जिले में एक दर्दनाक हादसे के बाद रेलवे मंत्रालय ने मुंबई उपनगरीय लोकल ट्रेनों में एक अहम फैसला लिया है। अब सभी मौजूदा और नई लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर क्लोजिंग सिस्टम यानी स्वचालित दरवाजे लगाने का निर्णय लिया गया है। यह कदम उस वक्त उठाया गया है जब एक तेज रफ्तार और भीड़भरी लोकल ट्रेन से गिरने के कारण चार यात्रियों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए।
यह दर्दनाक हादसा सोमवार सुबह तब हुआ जब ठाणे जिले में एक अत्यधिक भीड़भरी लोकल ट्रेन से यात्रियों का संतुलन बिगड़ गया और वे चलती ट्रेन से नीचे गिर गए। मृतकों में तीन पुरुष और एक महिला शामिल हैं, जबकि घायलों में से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। यह हादसा लोकल ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर गया।
रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को जानकारी दी कि हादसे के बाद मंत्रालय ने तुरंत संज्ञान लेते हुए सभी लोकल ट्रेनों में स्वचालित दरवाजे लगाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया,
“मुंबई उपनगरीय नेटवर्क देश का सबसे व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल नेटवर्क है। यात्रियों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि सभी मौजूदा और नई लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर क्लोजिंग सिस्टम लगाया जाएगा।”
यह प्रणाली ट्रेन के चलने से पहले और स्टेशन पर रुकने के बाद अपने आप दरवाजों को बंद और खोलने की सुविधा प्रदान करती है। इससे चलती ट्रेन में चढ़ने या उतरने की कोशिश को रोका जा सकता है, जो ऐसे हादसों का मुख्य कारण बनता है।
रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इस प्रणाली से लोकल ट्रेनों में होने वाले दुर्घटनाओं की संख्या में भारी कमी आएगी। अभी तक पुराने ढांचे की लोकल ट्रेनों में दरवाजे खुले रहते हैं, जिससे अत्यधिक भीड़ के समय यात्री दरवाजों पर लटकने को मजबूर होते हैं।रेलवे बोर्ड ने पहले ही मुंबई की कुछ नई रेक्स में यह प्रणाली पायलट आधार पर शुरू की थी, और अब इसे बड़े स्तर पर लागू किया जाएगा।
इस फैसले का यात्रियों और यात्री संगठनों ने स्वागत किया है।
मध्य रेल यात्री संघ के अध्यक्ष नितिन माने ने कहा,
“हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। यह फैसला भले ही हादसे के बाद आया हो, लेकिन अब यात्रियों की जान की कीमत समझी जा रही है। सरकार को इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहिए।”
रेलवे के अनुसार, सबसे पहले नई आने वाली रेक्स में यह सुविधा अनिवार्य रूप से जोड़ी जाएगी। उसके बाद पुरानी लोकल ट्रेनों को चरणबद्ध तरीके से अपग्रेड किया जाएगा। अनुमान है कि अगले 18 महीनों में मुंबई लोकल की अधिकतर ट्रेनों में यह प्रणाली कार्यरत होगी।
ठाणे हादसे ने एक बार फिर रेलवे की संरक्षा प्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। हालांकि रेलवे मंत्रालय द्वारा लिए गए इस फैसले से भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सकेगा। अब देखना होगा कि यह फैसला कितनी तेजी से और कितनी प्रभावी तरीके से ज़मीन पर उतरता है।