भारत ने किया एससीओ साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार, आतंकवाद पर चुप्पी मंज़ूर नहीं

क्विंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक ऐसा कदम उठाया जो उसके बदले हुए और आत्मविश्वासी रुख को दर्शाता है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के अंत में जारी होने वाले साझा बयान पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया। वजह थी उस बयान में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंता को नजरअंदाज किया जाना।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया को बताया कि भारत चाहता था कि बयान में आतंकवाद और खासकर सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों का स्पष्ट उल्लेख हो। लेकिन एक देश को यह बात स्वीकार नहीं थी। हालांकि उस देश का नाम नहीं लिया गया, लेकिन इतना जरूर बताया गया कि भारत ने अपनी बात रखने में कोई नरमी नहीं दिखाई। राजनाथ सिंह ने बैठक के दौरान बेहद गंभीर लहजे में कहा कि जब तक आतंकवाद का खुलकर विरोध नहीं होगा और जब तक आतंक फैलाने वालों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, तब तक स्थायी शांति की कोई कल्पना नहीं की जा सकती।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर खतरनाक हथियार गैर जिम्मेदार तत्वों के हाथ में चले जाएं, तो पूरे क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।भारत की नाराज़गी की एक अहम वजह यह भी थी कि हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र इस बयान में नहीं किया गया था। भारत के लिए यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं था बल्कि भावनाओं से जुड़ा मामला था। ऐसे में एक ऐसा बयान मंजूर करना जिसमें अपने ही नागरिकों और सैनिकों के बलिदान का कोई ज़िक्र न हो, भारत को स्वीकार नहीं था।
इस कदम के जरिए भारत ने यह साफ कर दिया कि वह सिर्फ दिखावे के लिए किसी बयान का हिस्सा नहीं बनेगा। अगर कोई साझा समझौता भारतीय हितों और सुरक्षा चिंताओं को नजरअंदाज करता है तो भारत उसमें शामिल नहीं होगा।